अगर आप देख सकते तो न्यू इंडिया के चेहरे पर इन दिनों आपको एक अनोखी चमक दिखाई पड़ती. ये उत्सवी चमक-दमक है. देश में चारों ओर उत्सवों की बहार जो है. एक निपटा तो दूसरा आ जाता है. चमक कम हुई तो दम... Read more
हे राम कथा वाया माल्या जी
उद्योगपति माल्या के तहख़ाने का माल देखकर मंत्री की आँखें चुंधिया गईं “वाह माल्या जी ! आपका किंगफिशर तो काफ़ी कुछ बटोर लाया है.” Satire Vijay malya by Umesh Tewari Vishwaas... Read more
टीवी है ज़रूरी: उमेश तिवारी ‘विश्वास’ का व्यंग्य
एक ज़माने में जब मुल्क में टी वी अवतरित हुआ उसे दूरदर्शन के नाम से जाना गया. मालूम नहीं उसका यह नाम दूर के दर्शन करवाने के कारण पड़ा या ये कोई चेतावनी रही कि इसे दूर से ही देखें. तथापि... Read more
यूं ही कोई दाज्यू नहीं बन पाता
दाज्यू बोले तो, भाईजी या बड़ा भाई. बचपन में मुंशी प्रेमचन्द की कहानी बड़े भाई साहब पढ़ी थी. उनके दाज्यू को बाद में कई हिन्दी फिल्मों में देखता रहा. जैमिनी से ए व्ही एम के बैनरों में, बलराज स... Read more
कॉमनसेंस बोले तो दुर्लभ विवेक
इधर जहाँ-तहाँ क़ानून पेले जा रहे हैं जिससे जन-जन में बड़ा कन्फ्यूजन हो गया है. PM का मानें, HM का, CJ का या CM का? ऐसी अवस्था में कॉमनसेंस का होना बहुत ज़रूरी है, वही माना जाए जो कॉमनसेंस से... Read more
स्वतः संज्ञान लेने की घड़ी
टाउन हॉल के बुर्ज़ पर एक घड़ी लगी है. घड़ी बहुत सुंदर है पर बिगड़ गई है. उसका घंटा भी झड़ गया है. समय नहीं बताती वह, फिर भी लोग उसे देखते हैं. देखने में ठीक ही लगती है, जैसी घड़ियां अमूमन हो... Read more
Popular Posts
- पहाड़ों में पिछले एक महीने से खेतों में उत्सव का माहौल है
- जी रया जागि रया यो दिन यो मास भेटने रया
- कल हरेला है
- चौमास में पहाड़
- एक सुनहरे युग के आख़िरी बाशिंदे थे जिमी
- छिपलाकोट अंतरयात्रा: चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ
- मखमली दुनिया के सफ़र में : फोटो निबंध
- कुन्चा : रं (शौका) समुदाय की एक कथा
- पहाड़ के खेतों से पेरिस ओलम्पिक का सफ़र तय करने वाली अंकिता
- आतंकी हमले में शहीद पांचों जवान उत्तराखंड के
- घर से नहीं निकलने वाला वोटर
- हरेला कब बोया जाता है
- कांग्रेस-बसपा के सामने अपनी सीटें बचाने की चुनौती : उत्तराखंड उपचुनाव
- सड़क की भूख गाँवों को जोड़ने वाले छोटे रास्ते निगल गई
- बगोरी की राधा
- पंवाली कांठा का सुकून : फोटो निबंध
- उत्तराखंड की पांच उच्च जोखिम वाली ग्लेशियल झीलें
- मैं रिसाल हूं, बिनसर का अभिन्न अंग, इसे जलाने का दोषी नहीं
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया
- देहरादून की जनता ने अपने पेड़ों को बचाने की एक और लड़ाई जीती
- जब पहाड़ के बच्चों का मुकाबला अंग्रेजी मीडियम से न होकर हिन्दी मीडियम से था
- मुनस्यारी के धर्मेन्द्र की डॉक्यूमेंट्री इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी
- तैमूर लंग की आपबीती
- हमारे बच्चों के लिए गांव के वीडियो ‘वाऊ फैक्टर’ हैं लेकिन उनके सपनों में जुकरबर्ग और एलन मस्क की दुनिया है
- मेले से पिछली रात ऐसा दिखा कैंची धाम