धारचूला के तेनसिंह को सलाम जिसने भांडमजुवा बनने की बजाय खुद्दारी से जिया अपना जीवन
आज किसी भाई ने अपने फेसबुक पोस्ट में ‘भांडमजुवा’ शब्द का प्रयोग किया है. वही भांडमजुवे जो अपने गांवों से भागकर शहर-कस्बों में जाकर वहां के होटल-ढाबों में बर्तन मांजने का काम करते... Read more
दिल्ली में प्याज काटने के ऑफिस जाने से कहीं बढ़िया हुआ अपने गांव में खेतीबाड़ी का अपना काम
बालम उर्फ बाली के पास बैलों की एक जोड़ी थी. वह मेहनती था और व्यवहार कुशल भी, जिसके चलते वह गांव ही नहीं आसपास के गांवों का भी चहेता था. रोजगार के नाम पर उसके पास काम की कमी नहीं थी. उसके पास... Read more
कहते हैं पहाड़ियों का भाग, भागकर ही जागता है
प्रवास अर्थात अपने मुल्क से दूर गैर मुल्क में बस जाना. ये गैर मुल्क अपने देश में भी हो सकता है और विदेश में भी. वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 3 प्रतिशत लोग विदेश में प्रवास... Read more
मैं पर्यटन स्थलों को छोड़कर, उत्तराखंड के आंतरिक ऐसे किसी पहाड़ी गांव में नहीं गया था जहां पलायन को इतना करीब से देखा हो. अपनी पिछली यात्रा के दौरान मैं चंपावत जिले के पाटी ब्लॉक में रीठा सा... Read more
ग्रेजुएट ब्वारियों की चाहत बनाम पहाड़ से पलायन : उत्तराखण्ड स्थापना सप्ताह पर विशेष
उन्नीस साल के युवा उत्तराखण्ड को एक लाइलाज रोग लग गया है – पलायन का. इस रोग की गम्भीरता ऐसी है कि इसने यहाँ की अन्य बीमारियों (समस्याओं) को नजरअन्दाज कर दिया है. होता भी यही है. जब छोट... Read more
Popular Posts
- कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब
- कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा