आज है लोकपर्व ‘खतड़ुवा’: मान्यता और मिथक
अमरकोश पढ़ी, इतिहास पन्ना पलटीं,खतड़सिंग नि मिल,गैड़ नि मिल.कथ्यार पुछिन, पुछ्यार पुछिन, गणत करै,जागर लगै,बैसि भैट्य़ुं, रमौल सुणों,भारत सुणों,खतड़सिंग नि मिल, गैड़ नि मिल.स्याल्दे-बिखौती गय... Read more
यह लेख भी सन् 1920 में डाँग श्रीनगर निवासी श्री गोविन्दप्रसाद घिल्डियाल, बी.ए. डिप्टी कलेक्टर, उन्नाव द्वारा लिखित और विश्वंभरदत्त चन्दोला द्वारा गढ़वाली प्रेस, देहरादून से प्रकाशित, पुस्तक... Read more
आज है जानवरों के स्वास्थ्य से जुड़ा पर्व खतड़ुवा
खतड़ुवा उत्तराखंड में सदियों से मनाया जाने वाला एक पशुओं से संबंधित त्यौहार है. भादों मास के अंतिम दिन गाय की गोशाला को साफ किया जाता है उसमें हरी नरम घास न केवल बिछायी जाती है. पशुओ को... Read more
Popular Posts
- कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब
- कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा