मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग
Posted By: Girish Lohanion:
असल में लोकोक्ति है- “मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग.” बचपन में सुना ही सुना था. सिसुणा का साग बनता बहुत कम घरों में था. फिर भी, जहां बनता था, चखने को मिल जाता था. लेकिन, सच यह है कि जो स... Read more
Popular Posts
- पहाड़ों में पिछले एक महीने से खेतों में उत्सव का माहौल है
- जी रया जागि रया यो दिन यो मास भेटने रया
- कल हरेला है
- चौमास में पहाड़
- एक सुनहरे युग के आख़िरी बाशिंदे थे जिमी
- छिपलाकोट अंतरयात्रा: चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ
- मखमली दुनिया के सफ़र में : फोटो निबंध
- कुन्चा : रं (शौका) समुदाय की एक कथा
- पहाड़ के खेतों से पेरिस ओलम्पिक का सफ़र तय करने वाली अंकिता
- आतंकी हमले में शहीद पांचों जवान उत्तराखंड के
- घर से नहीं निकलने वाला वोटर
- हरेला कब बोया जाता है
- कांग्रेस-बसपा के सामने अपनी सीटें बचाने की चुनौती : उत्तराखंड उपचुनाव
- सड़क की भूख गाँवों को जोड़ने वाले छोटे रास्ते निगल गई
- बगोरी की राधा
- पंवाली कांठा का सुकून : फोटो निबंध
- उत्तराखंड की पांच उच्च जोखिम वाली ग्लेशियल झीलें
- मैं रिसाल हूं, बिनसर का अभिन्न अंग, इसे जलाने का दोषी नहीं
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया
- देहरादून की जनता ने अपने पेड़ों को बचाने की एक और लड़ाई जीती
- जब पहाड़ के बच्चों का मुकाबला अंग्रेजी मीडियम से न होकर हिन्दी मीडियम से था
- मुनस्यारी के धर्मेन्द्र की डॉक्यूमेंट्री इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी
- तैमूर लंग की आपबीती
- हमारे बच्चों के लिए गांव के वीडियो ‘वाऊ फैक्टर’ हैं लेकिन उनके सपनों में जुकरबर्ग और एलन मस्क की दुनिया है
- मेले से पिछली रात ऐसा दिखा कैंची धाम