रॉंग नंबर
Posted By: Girish Lohanion:
रॉंग नंबर -आशीष ठाकुर एक दोपहर थी थकी-थकी, उदास, ठहरी हुई. खिड़कियाँ सूनी थी, आसमान अकेला. घर में सन्नाटा पसरा था. अब तो बेला के क़दमों की आवाज़ भी नहीं आती, पायल पहनना उसने कब का छोड़ दिया. घर... Read more
साझा कलम : 10 आशीष ठाकुर
Posted By: Girish Lohanion:
[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर रहे हैं. अपने गाँव, शहर, कस्बे या परिवार की किसी अन्तरंग और आवश्यक स्मृति को विषय बना कर आप चार सौ से... Read more
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