तो क्या ऐसे में तुम मुझसे प्रेम कर पाओगे?
तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो ? … और इसके उत्तर में काफ़ी देर शून्य में ताकता रहा. फिर जैसे उसने बहुत गहरे कुँए से अपनी आवाज़ को खींचा और बोला- मैं पश्चाताप का आदिपुरुष हूँ. कहीं भी कु... Read more
धरती के युद्ध धरती पर ही लड़े जायेंगे
जिस जगह वो रहता था उस जगह के आगे कोई बस्ती नहीं थी. गाँव के छोर से आगे जाने की अघोषित मनाही थी. कई पीढीयों से. उसे पक्का विश्वास था की दुनिया के गोल होने बातें महज बकवास थी.और दुनिया का छोर... Read more
एक लालटेन का जलना क्या खुद लालटेन के लिए एक त्रासदी है? उसकी रौशनी की सेहत, उसकी तबीयत का मिज़ाज देखकर ऐसा ही कुछ सोच जा सकता है. उसका रोशनी पैदा करने का उपक्रम खुद उसी के लिए बेहद थकाने वाला... Read more
भटकने का अपना सुख है
माचिस की डिबिया -संजय व्यास तीली माचिस की हरेक तीली की नोक पर पिछले दस हज़ार सालों का इतिहास दर्ज़ है. उस नोक की एक रगड़ से उत्पन्न आग इंसान की पैदा की गयी पहली आग की स्मृति है.और ये सिर्फ उ... Read more
खिड़की में खड़ी सपनों की रानी
दुनिया या प्रेम में खुलती खिड़की -संजय व्यास डाकिया आज भी उसे कायदे से नहीं जान पाया था भले ही इस महल्ले में वो पिछले कई सालों से रह रहा था. ये बात अलग थी कि आज डाकिया ख़ुद अपनी पहचान के संक... Read more
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