19वीं सदी का महान घुमक्कड़-अन्वेषक-सर्वेक्षक पण्डित नैन सिंह रावत (सन् 1830-1895) आज भी ‘‘सैकड़ों पहाड़ी, पठारी तथा रेगिस्तानी स्थानों, दर्रों, झीलों, नदियों, मठों के आसपास खड़ा मिलता है. लन... Read more
मशहूर इतिहासकार व लेखक राम चन्द्र गुहा ने कल यानी 28 जुलाई को ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में छपे अपने एक लेख में पहाड़ के मशहूर फोटोग्राफर और यात्री स्व. कमल जोशी को बहुत मोहब्बत से याद किया है. उ... Read more
मालूशाही गायन का खलीफा मोहन सिंह रीठागाड़ी
सेराघाट मंडी के उस पार ग्राम धपना (पिथौरागढ़) सन 1905-06 के आस पास मोहन सिंह का जन्म हुआ था. पिता का नाम था, ठाकुर हिम्मत सिंह बोरा. ठाकुर साहब की दो शादियां हुई थी. उनके आठ बेटे और संभवतः ती... Read more
कुली बेगार आन्दोलन से पहले कुमाऊं परिषद
अमृतसर कांग्रेस के बाद के महीने अत्यन्त सक्रियता भरे थे. एक प्रकार से कुमाऊं परिषद के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस बीच ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन का असाधारण कार्य किया. जगह जगह परिषद् की शा... Read more
कुमाऊँ परिषद के शुरुआती वर्ष
1916 से 1926 तक कुमाऊँ परिषद का इतिहास ही बड़ी सीमा तक उत्तराखण्ड में स्थानीय आन्दोलनों तथा राष्ट्रीय संग्राम का इतिहास भी है. कुमाऊँ परिषद सामान्य समाज सुधार के उद्देश्यों वाला संगठन न होकर... Read more
उत्तराखण्ड में हेनरी रैमजे का युग (1856-1884) ब्रिटिश सत्ता के शक्तिशाली होने का काल था. औपनिवेशिक शिक्षा का प्रारम्भ हुआ और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का आलोक यहाँ पहुँचने लगा जो सदी के अंत तक ज्... Read more
कुमाऊँ में अंग्रेज – 1815 से 1857 तक
ईस्ट इंडिया कंपनी का 1815 में उत्तराखण्ड आगमन उत्तराखण्ड में गोरखों के 25 साला सामन्ती सैनिक शाही के अन्त से जुड़ा था. इस दूरस्थ दुर्गम और बिखरी जनसंख्या वाले अपेक्षाकृत बंद समाज में नये शासन... Read more
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