मैं पिछले छः दशकों से मसूरी में रह रहा हूँ. मसूरी में न होता तो शायद मैं इतना लिख भी नहीं पाता. सही मायनों में इन वादियों ने मेरे अन्दर के लेखक को बड़ा विस्तार दिया. मेरा जन्म कसौली में हुआ.... Read more
रात भर बारिश टिन की छत को किसी ढोल या नगाड़े की तरह बजाती रही. नहीं, वह कोई आंधी नहीं थी. न ही वह कोई बवंडर था. वह तो महज मौसम की एक झड़ी थी, एक सुर में बरसती हुई. अगर हम जाग रहे हों तो इस ध... Read more