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8 Comments

  1. Ashish Pandey

    Wow, जबर्दस्त, जिन्दाबाद

  2. Anonymous

    पहाड़ै रस्यो कैं पाठक ज्यूल सामणि बटी जस धरि दे। धन्यबाद तमन हूं। ” मडुवा
    का फकाया रवाटा, सिसूणै की पकाई भाजी, नाती नातीणी न खाना कौंनी, पै कौंनी – आमा आजी आजी।

  3. Anonymous

    पहाड़ै रस्यो कैं पाठक ज्यूल सामणि बटी जस धरि दे। धन्यबाद तमन हूं। ” मडुवा
    का फकाया रवाटा, सिसूणै की पकाई भाजी, नाती नातीणी न खाना कौंनी, पैं कौंनी – आमा आजी आजी।
    ननछना दिन
    लै याद दिवै दी।

  4. Anonymous

    पहाड़ै रस्यो कैं पाठक ज्यूल सामणि बटी जस धरि दे। धन्यबाद तमन हूं। ” मडुवा
    का पकाया रवाटा, सिसूणै की पकाई भाजी, नाती नातीणी न खाना कौंनी, पैं कौंनी – आमा आजी आजी।
    ननछना दिन
    लै याद दिवै दी। ए बेर आजि धन्यबाद ।

  5. Chankey Pathak

    Malta, Mooli, Gajar k salad mein cookh daal k subah subah dhoop mein beth k khane ka aanand! <3

  6. Deep Chand Pandey

    पूरा लेख पढ़ा। मुंह में पानी भर आया। धन्यवाद्।

  7. अमित तिवारी

    वाह पुराने दिन याद दिला दिए और मुँह में पानी जो आया उसका तो क्या कहना

  8. हेमंत

    वास्तव में ये पहाड़ी खान पान हमारे अंतर्मन में रचा बसा हुआ है और इसके जायके को जंबू , गंधरैनी , जखिया , भांग , भांगीरा आदि बढ़ाते चले आ रहे हैं ।
    बहुत विस्तृत रूप से आपने लिखा है ये खान पान हमारे रोजमर्रा के जीवन की सुखद अनुभूति और दिनचर्या है ।

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