पंतनगर में रहने वाले ललित सती लम्बे समय से अनुवाद कार्य से जुड़े हैं. सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति उल्लेखनीय है. काफल ट्री के लिए नियमित लिखेंगे.
जीडीपी हमारी बहुत बढ़ गई है. पता है तुमको? अब जीडीपी का मतलब तो तुम्हें पता नहीं हुआ. यूँ समझ लो जब खूब बिकास हो रहा होता है तो जीडीपी बढ़ जाती है.
बिकास न हो तो जीडीपी भुस्स हो जाती है.
सोचो जरा, हमारा बिकास चीन से भी अधिक होने लग गया है अब.
यहाँ देखो हर आदमी को हेल्थ बीमा दे रही गौरमिंट. चीन में उल्टी-दस्त जैसे मामूली रोग का भी दवा-इलाज कराना भारी पड़ जाता है, पैसा ही नहीं हुआ उनके पास. अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चे मर जाते हैं वहाँ.
रोजगार की तो पूछो मती. त्राहिमाम मची है चीन में. पीएचडी किए हुए लड़के चपरासी का फॉर्म भर रहे हैं. दिन भर सड़कों पर डोलते रहते हैं, कुछ करने को है ही नहीं वहाँ. हमारे यहाँ देखो मुद्रा योजना है. बेरोजगार हो, बैंक जाओ, खट मुद्रा लोन मिलता है, खुद कमाओ, चार और लोगों को नौकरी दो. जब तक कुछ करने का मन न करे, जियो का सिम लो, मौज काटो. सड़कें हमारी देखो, जेट विमान चलते हैं इन पर. चीन की हालत खराब हुई पड़ी है.
खाली चीन की ही बात नहीं हुई, सभी का ऐसे ही हुआ. अमरीका, यूरोप जैसों की तो आँखें फटी पड़ी हैं कि कैसे इतना बिकास कोई कर सकता है. हम हथियार न खरीदें तो उनकी इकोनॉमी न चले. बेचारे.
यहाँ देखो, किसान सॉइल कार्ड पाकर खुश है. मजदूर की छँटनी हो रही है, तुरंत पकौड़े का ठेला लगा ले रहा है. औरतें खुश हैं, ज़िंदगी में एक गैस का सिलिंडर किसी गरीब औरत को मिल जाए, उससे ज्यादा क्या चाहिए उसको.
लोगों की मानसिक खुराक पर पूरा जोर दिया जा रहा है. जैसे फैक्टरी से रोज माल निकलता है, वैसे ही आईटी सेल रोज वॉट्सऐप पर ठेल रहा है.
लोगों में समृद्धि आई है, जभी डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ाए जा रहे हैं. लोगों की समृद्धि जनप्रतिनिधियों में प्रतिबिंबित हो रही है.
पेट्रोल से, बैंकों से, नोटबंदी से जो भी पैसा इकट्ठा हो रहा है, पूरी ईमानदारी से उससे बिकास के काम हो रहै हैं. देश ही नहीं, विदेश की भी चिंता हुई हमें. मेहुल भाई, नीरव भाई, माल्या भाई जैसे जाने कितने लोगों को देश-विदेश में महत्तर-वृहत्तर जिम्मेदारियाँ सौंपी जा रही हैं. कि जाओ निर्द्वंद्व भारत का ही नहीं, पूरी दुनिया का बिकास करो. वसुधैव कुटुम्बकम की सोच के लिए जिगर चहिए होता है जी.
अब रुपये की बात ले लो, बहुत दिनों से गिरना चाह रहा था, गिरने नहीं दिया जा रहा था. अब धकाधक गिर रहा है. पहले गिरेगा, जभी तो ऊपर ऐसी जंप मारेगा कि दुनिया देखती रह जाएगी.
शिक्षा की क्वालिटी मेन्टेन करने के लिए फीसें बढ़ा दी गई हैं ताकि सभ्य-सुसंस्कृत लोगों के बच्चे उच्च शिक्षा हासिल करें. कहीं हर ऐरा-गैरा युनवस्टी न पहुँच जाए और फिर बाद में आंतरिक सुरक्षा को चुनौती बन जाए.
कानून-व्यवस्था दुरुस्त हो रही है. जंगलराज खत्म हो गया है. चीन में सुना है जय माओ नहीं बोलो तो पीट-पीटकर मार देते हैं. हमारे यहाँ तो लोग जाने क्या-क्या बोल जाते हैं. किसी की हिम्मत है उन्हें कुछ कह दे, आधी रात को कोर्ट बैठ जाती है.
बस, जरा-सी कसर यह रह गई है कुछ लोग राष्ट्र को प्यार कम कर रहे हैं.
हीमोग्लोबिन बढ़ गया, नेशनलिज्म कम हो गया, फिर क्या – दिमाग में गरमी चढ़ गई. भूल गए कि अवतार इज इंडिया, इंडिया इज अवतार. अवतार की आलोचना आप कैसे कर सकते हैं?
बहरहाल, मट्टी डालो इस कसर पर. अभी यूँ समझो, पूरे माहौल में चेंज आ गया है. नए इतिहासकार, नए साइंटिस्ट नई-नई रिसर्च कर रहे हैं. दुनिया चकित है इन रिसर्चों को पढ़कर. गाय आगे से ऑक्सीजन छोड़ रही है, बत्तख पीछे से – ऐसा होता है भला कहीं और?
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