एक तरफ दिल्ली की विधानसभा में पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा को भारत रत्न दिये जाने संबंधी प्रस्ताव पारित हो रहा है दूसरी तरफ उत्तराखंड का सरकारी महकमा उनके परिवार से दफ्तरों में चप्पल घिसवा रहा है. जब राज्य में इतने बड़े नाम के परिवार को पेंशन के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है तो समझा जा सकता है कि उत्तराखंड में आम लोगों की क्या गत होती होगी.
(Rajiv Nayan Bahuguna Post)
मृत्यु के ढाई महीने के बाद भी पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का परिवार उनकी स्वाधीनता सेनानी की पेंशन से वंचित है. पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा के पुत्र राजीवनयन बहुगुणा ने फेसबुक पोस्ट कर यहां तक लिख दिया कि
अब हमे पेंशन नहीं चाहिए। कितना बेइज़्ज़त करोगे?
एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा के पुत्र राजीवनयन बहुगुणा ने बताया कि मेरे स्वर्गीय पिता सुंदर लाल बहुगुणा की स्वाधीनता सेनानी पेंशन उनकी मृत्यु के ढाई महीने बाद भी मेरी मां के नाम स्थानांतरित न हो सकी. यह उत्तराखण्ड प्रदेश का मामला है. केंद्रीय पेंशन में कोई समस्या नहीं आयी. एक बार ज़िला ट्रेज़री ऑफिस ने हमारे दिए कागज़ात खो दिए. दुबारा दिए तो कोई उत्तर नहीं. कल से 18 बार कलेक्टर ऑफिस फ़ोन कर चुका. कभी साहब इंस्पेक्शन में हैं, कभी मीटिंग में हैं. (पूरी पोस्ट नीचे देखें)
(Rajiv Nayan Bahuguna Post)
सोशियल मीडिया पर लोग पोस्ट को शेयर करते हुये सवाल उठा रहे हैं कि आखिर पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का यह अपमान अपने ही राज्य में क्यों हो रहा है? कुछ यूजर्स ने सवाल किया कि जब एक हाई-प्रोफाईल मामले में उत्तराखंड सरकार के कर्मचारी इस कदर लापरवाही बरतते हैं तो राज्य में आम लोगों का क्या हाल होगा.
(Rajiv Nayan Bahuguna Post)
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