आज केदारनाथ धाम दर्शन की इच्छा रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को तीर्थ पुरोहितों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा. देवस्थानम बोर्ड के मामले में आक्रोशित तीर्थ पुरोहितों ने त्रिवेद्र रावत को संगम पुल में ही रोक दिया और आगे नहीं बढ़ने दिया. केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूक धारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. (Protest against Trivendra Rawat in Kedarnath)
गौरतलब है कि देवस्थानम बोर्ड का गठन त्रिवेंद्र सिंह के मुख्यमंत्री रहते ही हुआ था. तीर्थ पुरोहित हमेशा से ही देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ रहे हैं. इसी वजह से त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री रहते भी उनका कड़ा विरोध झेलना पड़ा था. यह भी माना जाता है कि त्रिवेंद्र की कुर्सी सरकने के पीछे एक वजह देवस्थानम बोर्ड के मामले में उनका चौतरफा विरोध भी है. अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान के इस फैसले की वजह से आज भी उन्हें केदारनाथ जाने से रोक दिया गया. काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
शुरू से कड़े विरोध का सामना कर रहे देवस्थानम बोर्ड के बारे में सरकार तीर्थ पुरोहितों के साथ कई असफल वार्ताएं कर चुकी है. सितम्बर में मुख्यमंत्री ने अक्टूबर माह के आखिर तक देवस्थानम बोर्ड भंग करने का आश्वासन भही हक़-हकूक धारियों को दिया था. लेकिन इस मामले में सरकार अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं ले पायी है. इस से आक्रोशित तीर्थ पुरोहितों ने 11 सितम्बर को गंगोत्री धाम बंद रखने का भी फैसला लिया है.
तीर्थ पुरोहितों ने जल्द ही देवस्थानम बोर्ड भंग न किये जाने पर उग्र आन्दोलन की चेतावनी भी दी है. आसन्न विधानसभा चुनावों को देखते हुए पुरोहितों को उम्मीद है कि सरकार उनके पक्ष में फैसला लेगी.
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देवस्थानम बोर्ड का जिन्न फिर बोतल से बाहर
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