Featured

गाँव में आवाजें

साहित्य अकादेमी पुरुस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल  (Manglesh Dabral) हमारी भाषा के जाने माने कवि हैं. 16 मई 1948 को उत्तराखंड के गढ़वाल में काफलपानी नामक गाँव में जन्मे मंगलेश के प्रकाशित कविता संग्रहों में प्रमुख हैं – पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज़ भी एक जगह है, मुझे दिखा एक मनुष्य और नए युग में शत्रु.

भाषा और विम्बों की सादगी में बड़ी बात कह देना उनकी रचनाओं की विशेषता है. आज पढ़िए उनकी एक छोटी सी अतिप्रसिद्ध कविता.

मंगलेश डबराल

 

आवाजें
– मंगलेश डबराल

कुछ देर बाद
शुरू होंगी आवाजें

पहले एक कुत्ता भूँकेगा पास से
कुछ दूर हिनहिनाएगा एक घोड़ा
बस्ती के पार सियार बोलेंगे

बीच में कहीं होगा झींगुर का बोलना
पत्तों का हिलना
बीच में कहीं होगा
रास्ते पर किसी का अकेले चलना

इन सबसे बाहर
एक बाघ के डुकरने की आवाज
होगी मेरे गाँव में.

-मंगलेश डबराल ( Manglesh Dabral)

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 day ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

5 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

5 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

5 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

5 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

5 days ago