Manglesh Dabral

अपने ही भीतर मरते जा रहे हैं जीवित लोग: स्मृति शेष मंगलेश डबराल

हिंदी कवि मंगलेश डबराल को गुज़रे एक साल हुआ. नौ दिसंबर 2020 को कोरोना महामारी से उनकी जान गई. प्रस्तुत…

2 years ago

एक मरा हुआ मनुष्य इस समय जीवित मनुष्य की तुलना में ज़्यादा कह रहा है: मंगलेश डबराल की याद में

मैं जब भी यथार्थ का पीछा करता हूं देखता हूं वह भी मेरा पीछा कर रहा है मुझसे तेज़ भाग…

3 years ago

अलविदा मंगलेश दा

जिनकी स्मृति में बिजली के लट्टुओं से जगमग पहाड़ की ही छवि है वो पहाड़ में लालटेन के बिम्ब का…

3 years ago

गाँव में आवाजें

साहित्य अकादेमी पुरुस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल  (Manglesh Dabral) हमारी भाषा के जाने माने कवि हैं. 16 मई 1948 को…

5 years ago

लालटेन की तरह जलना

मंगलेश डबराल की कविता और जीवन पर कृष्ण कल्पित - शिवप्रसाद जोशी महत्त्वपूर्ण रचनाकार पर लिखने का आखिर क्या तरीक़ा…

6 years ago

शायद वहाँ एक आंसू था : मंगलेश डबराल की कविता

जीवन के लिए -मंगलेश डबराल शायद वहाँ थोड़ी सी नमी थी या हल्का सा कोई रंग शायद सिरहन या उम्मीद…

6 years ago

आपकी आँखों का अब कोई इलाज नहीं है : मंगलेश डबराल की कविता

पिता का चश्मा -मंगलेश डबराल बुढ़ापे के समय पिता के चश्मे एक-एक कर बेकार होते गए आँख के कई डॉक्टरों…

6 years ago

प्यारे बच्चो जीवन एक उत्सव है : मंगलेश डबराल की कविता

बच्चों के लिए चिठ्ठी -मंगलेश डबराल प्यारे बच्चो हम तुम्हारे काम नहीं आ सके. तुम चाहते थे हमारा क़ीमती समय…

6 years ago

पाब्लो नेरुदा से एक बातचीत – दूसरा और अंतिम हिस्सा

(पिछले हिस्से का लिंक - पाब्लो नेरुदा से एक बातचीत) पाब्लो नेरुदा (12 जुलाई 1904 - 23 सितंबर 1973) की…

6 years ago

तब संगतकार ही स्थाई को सँभाले रहता है : मंगलेश डबराल की कविता

संगतकार -मंगलेश डबराल मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती वह आवाज़ सुंदर कमजोर काँपती हुई थी…

6 years ago