हिन्दी कविता

तुम होगे साधारण ये तो पैदाइशी प्रधान हैं

इन्हें प्रणाम करो ये बड़े महान हैंदंत-कथाओं के उद्गम का पानी रखते हैंपूंजीवादी तन में मन भूदानी रखते हैंइनके जितने…

5 years ago

कब तक बैठी रहोगी इस तरह अनमनी, चलो घूम आएँ

चलो घूम आएँ - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना उठो, कब तक बैठी रहोगीइस तरह अनमनीचलो घूम आएँ.तुम अपनी बरसाती डाल लोमैं…

5 years ago

हमारी हिंदी सुहागिन है सती है खुश है – हिन्दी दिवस विशेष

हमारी हिंदी-रघुवीर सहायहमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी हैबहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवालीगहने गढ़ाते जाओसर पर चढ़ाते जाओवह…

5 years ago

पितृपक्ष: वीरेन डंगवाल की कविता

 पितृपक्ष -वीरेन डंगवालमैं आके नहीं बैठूंगा कौवा बनकर तुम्हारे छज्जे परपूड़ी और मीठे कद्दू की सब्ज़ी के लालच मेंटेरूँगा नहीं…

5 years ago

सबकी ज़रूरत का नमक वह अकेला ही क्यों ढोए

समुद्र पर हो रही है बारिश -नरेश सक्सेना क्या करे समुद्रक्या करे इतने सारे नमक का कितनी नदियाँ आईं और…

5 years ago

रह गई है अभी कहने से सबसे ज़रूरी बात

कुछ कद्दू चमकाए मैंनेकुछ रास्तों को गुलज़ार कियाकुछ कविता-टविता लिख दीं तोहफ़्ते भर ख़ुद को प्यार किया अब हुई रात…

5 years ago

कितना आसान है हत्या को आत्महत्या कहना

किसान और आत्महत्या -हरीश चन्द्र पाण्डे उन्हें धर्मगुरुओं ने बताया था प्रवचनों मेंआत्महत्या करने वाला सीधे नर्क जाता हैतब भी…

5 years ago

अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा

अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना देखो मैंने कंधे चौड़े कर लिये हैं मुट्ठियाँ मजबूत…

5 years ago

पूरा अपना ही है देहरादून : राजेश सकलानी की कविता

देहरादून निवासी युवा कवि राजेश सकलानी के पिछले कविता संग्रह पुश्तों का बयान का में कवि और उसकी कविता के…

5 years ago

उसकी प्रेम कविता में दरवाज़ा बन्द था, बन्द थे झरोखे

प्रेम कविता में दरवाजा - हेमंत कुकरेती उसने तय किया भूख मिट जाएवह प्रेम की कविता लिखेगाजिसमें प्रेम नामक शब्द…

5 years ago