







मेरा स्थान आत्मस्वरूप को धारण करने वाली बुद्धि में है.
देवी के महामाया स्वरुप को जान देवों ने प्रार्थना की.




हे महाकाली-महालक्ष्मी -महासरस्वती-स्वरूपिणी चण्डिके तुम्हें प्रणाम. अविद्या से मुझे मुक्त करो.


पुनर्गुहा सकला मायया च पुरूच्येषा विश्वमातादिविद्योंम.


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जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति के उपरान्त हल्द्वानी में रहते हैं. अर्थशास्त्र के अतिरिक्त फोटोग्राफी, साहसिक पर्यटन, भाषा-साहित्य, रंगमंच, सिनेमा, इतिहास और लोक पर विषदअधिकार रखने वाले मृगेश पाण्डे काफल ट्री के लिए नियमित लेखन करेंगे.
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