आज से अगले एक सप्ताह नैनीताल में नंदादेवी महोत्सव चलेगा. नैनीताल की वादियों में इन दिनों, भाद्रपद महिने की पंचमी से शुरु होने वाले इस महोत्सव की मुश्क महसूस की जा सकती है. 1 सितम्बर से शुरु होने वाले इस महोत्सव में पहले दिन गणेश पूजन होता है और एक दल कदली वृक्ष लेने के लिए ढोल बाजों के साथ निकलता है.
(Nanda Devi Mahotsav Nainital 2022)
अगले दिन कदली वृक्ष पूरी भव्यता के साथ नैनीताल लाये जाते हैं. इस वर्ष कदली वृक्ष ज्योलीकोट के भल्यूटी गांव से लाये जायेंगे. षष्ठमी के दिन इन कदली वृक्ष के तनों की पूजा-अर्चना करने के बाद सप्तमी को इनसे माँ नंदा की मूर्तियाँ बनायीं जाती हैं. अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में इन्हें वस्त्र आभूषणों से सजाकर मंदिर में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. यहाँ भक्तों द्वारा माँ की स्तुति की जाती है. नवमी के दिन कन्याकुमारियों की पूजा की जाती है.
दशमी के दिन माँ नंदा के डोले के साथ नगर में विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है. जयकारे के बीच डोले का नैनीताल भ्रमण कराया जाता है और इसके बाद सरोवर में ही पाषाणदेवी के निकट इसका विसर्जन किया जाता है.
माना जाता है कि नैनीताल में होने वाला नंदा देवी महोत्सव अल्मोड़ा से ही आया है. यह कहा जाता है कि अल्मोड़ा से नैनीताल आकर बसे लोगों ने ही यहां इसकी शुरुआत की. नैनीताल के नंदादेवी महोत्सव के विषय में कहा जाता है कि 1903 में यहाँ पर मोतीराम साह के द्वारा नन्दाष्टमी के मौके पर भव्य महोत्सव का आयोजन शुरू करवाया गया था.
(Nanda Devi Mahotsav Nainital 2022)
यही कारण है कि नैनीताल और अल्मोड़ा में होने वाले नंदा देवी महोत्सव की परम्परायें लगभग एकसामान ही हैं. नंदादेवी कुमाऊं क्षेत्र की कुलदेवी मानी जाती हैं. कुमाऊं और गढ़वाल दोनों ही क्षेत्रों में खूब विश्वास से पूजा जाता है. पहले नैनीताल नंदा देवी महोत्सव में बलि की प्रथा भी थी यह प्रथा उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद बंद कर दी गयी.
तय कार्यक्रम के अनुसार आज दोपहर दो बजे बजे एक दल कदली वृक्ष लेने ज्योलीकोट के भल्यूटी गांव निकलेगा. कल दिन में तीन बजे कदली वृक्षों का नगर भ्रमण होगा और शाम के समय नैनादेवी मंदिर में कदली वृक्ष का स्वागत और पूजन होगा.
(Nanda Devi Mahotsav Nainital 2022)
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