आपको इस बात का जरा भी अंदाज न होगा कि असल में आपका व्यक्तित्व कुछ और नहीं, आपकी आदतों का जोड़ है और आप आज जीवन में सफलता के जिस भी पायदान पर हो, आपको वहां पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका आपकी आदतों की है. अमूमन हम सिर्फ स्मोकिंग करने, शराब पीने, सुबह जल्दी उठने, व्यायाम करने आदि को ही आदतों के रूप में देखते हैं, लेकिन आदतें सिर्फ इतने तक सीमित नहीं. हम सुबह उठने के बाद से रात सोने तक और सोने के दौरान भी जो कुछ करते हैं, सब हमारी आदतें ही हैं. Mind Fit 11 Column by Sundar Chand Thakur
शब्दकोश के मुताबिक बिना होश के बार-बार दुहराया जाने वाला हमारा बर्ताव आदत कहलाता है. मसलन सिगरेट पीना एक आदत है, क्योंकि वह काम होश के बिना किया जाता है. कोई आदमी होश में रहते हुए सिगरेट कैसे पी सकता है. जीने के लिए कोई कैसे मर सकता है. धूम्रपान के लिए बेहोश होना बहुत जरूरी है. Mind Fit 11 Column by Sundar Chand Thakur
चलिए, सिगरेट छोड़िए. हम किसी से बातचीत करते हुए उसे कितने ध्यान से सुनते हैं, यह भी एक आदत ही है. हम रोज रात को जब सोने जाते हैं, तो किस करवट सोते हैं, यह भी एक आदत है. हम भोजन कितना चबाकर खाते हैं, खाते हुए बातें करते हैं या टीवी देखते हैं, हम नहाते कैसे हैं, गाड़ी कैसे चलाते हैं, सड़क पर चलते कैसे हैं, अलग-अलग लोगों से कैसे बातें करते हैं, ये सब आदतें ही हैं. किसी एक दिन में हम सुबह से रात तक जो भी काम करते हैं, वे सभी हमारी आदतें ही हैं. इसीलिए अगर एक पूरा दिन जीने के बाद हमें शारीरिक और मानसिक स्तर पर कोई तकलीफ होती है, तो इसे आप अपनी आदतों का ही परिणाम मानिए. अपनी बुरी आदतों का. इन बुरी आदतों को ही हम खराब लाइफस्टाइल भी बोल देते हैं.
अपनी बुरी आदतों को अगर हम अच्छी आदतों में बदल दें, तो उसके परिणामस्वरूप सबसे पहला फर्क यह देखेंगे कि आप पूरे दिन हर पल आनंद और स्फूर्ति से भरे रहने लगते हैं. खुद तो आप खुश रहते ही हैं, अपने संपर्क में आने वालों को भी खुश रखते हैं, उन्हें सकारात्मक ऊर्जा देते हैं.
अच्छी आदतों के नाम पर मैं सबसे पहले आदतों की सरताज यानी सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने की बात करूंगा. मैंने लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही सुबह चार बजे उठना शुरू किया और अकेले इस आदत ने मेरे जीवन को पॉजिटिव एनर्जी का पावरहाउस बना दिया है. सोचिए, सुबह सात बजे उठने वाले व्यक्ति की तुलना में मुझे रोज काम करने के लिए तीन घंटे अधिक मिलते हैं. Mind Fit 11 Column by Sundar Chand Thakur
अगर हम दोनों यानी सात बजे उठना वाला व्यक्ति और मैं 80 की आयु तक जीते हैं, तो 60 साल के वयस्क जीवन में मुझे काम करने के लिए उसकी तुलना में रोज 3 घंटे यानी 60 साल में 65,700 घंटे एक्स्ट्रा मिलेंगे. 65,700 घंटों का अर्थ है 7.5 साल. यानी जब वह जन्म ले रहा होगा, मैं तीसरी में पढ़ रहा हूंगा. एक अच्छी आदत इतना फर्क पैदा कर सकती है.
आदतें बहुत छोटी-छोटी हो सकती हैं. लेकिन आप इस गलतफहमी में न रहें कि छोटी आदतें प्रभावी नहीं होतीं. छोटी-छोटी आदतें मिलकर आपका व्यक्तित्व बनाती हैं. छोटी-छोटी आदतें रोज आपके जीवन में जरा-जरा से बदलाव करती हैं. लेकिन जीवन के अंत तक पहुंचते हुए ये बदलाव इतने बड़े हो जाते हैं कि वे किसी को भी हैरान कर सकते हैं. अमेरिका के एक लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर जेम्स क्लियर ने अपनी किताब ‘एटोमिक हैबिट्स’ में छोटी-छोटी आदतों के प्रभाव के बारे में बताया है कि अगर हम किसी अच्छी आदत के कारण रोज महज एक प्रतिशत का भी सुधार करते हैं, तो एक साल में हम 37 गुना बेहतर हो जाएंगे. Mind Fit 11 Column by Sundar Chand Thakur
अच्छी आदतों का काम यह है कि वह आपको बेहतर बनाती हैं. अगर हम थोड़ा-सा जागकर, सतर्क होकर अपने पूरे दिन की उत्पादकता का मुआयना करें और उसमें आदतों की भूमिका को देखें, तो हम पाएंगे कि अगर हमने जीवन में अपनी उत्पादकता को बढ़ाया है, तो वह अच्छी आदतों के कारण है और अगर हमारी उत्पादकता कम हुई है, तो वह बुरी आदतों का नतीजा है. मोबाइल को बार-बार देखना भी एक आदत ही है, जिसे हम अगर चाहें, तो बंद कर सकते हैं. ऐसा करते ही हम अपनी एक बुरी आदत को एक अच्छी आदत में बदल देंगे. इस तरह हम रोज के कुछ और घंटे अपनी उत्पादकता को बढ़ाने में लगा सकते हैं. एक बुरी आदत को बंद करने से जो समय हमें मिलना शुरू होता है, उसमें हम कई छोटी-छोटी नई आदतें शुरू कर सकते हैं. यहां मैं 11 आदतें बता रहा हूं, उन पर आप अगर सवार हो जाएं, तो आने वाले सालों में वे आपको हैरतअंगेज कारनामे करके दिखाएंगीं :
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठना 2. उठते ही स्नान 3. रोज 20 मिनट का ध्यान 4. रोज 7 मिनट का त्राटक. 5 रोज 45 मिनट का योग 6. रोज 10 मिनट का प्राणायाम 7. मोबाइल का नियंत्रित उपयोग 8. भूख से कम भोजन 9. रोज सुबह दिनभर के जरूरी काम की लिस्ट बनाना 10. रोज ब्रह्मांड के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए एक मिनट की प्रार्थना 11. रात अपने सपनों को सच होते देखते हुए नींद में प्रवेश करना.
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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