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1 Comments

  1. amit kumar

    वैसे बद्रीदत्त पांडे जी के तथ्य कितने प्रामाणिक है इस पर डॉ यशवंत सिंह कठौच जी ने काफी विस्तार में लिखा है। हो सके तो आप उसका भी अध्ययन कर लें।
    आपके तथ्यों को भी मान लेंगे अगर कोई पीएचडी धारक इतिहासकार अपनी पुस्तक में लिख दे जिसे उत्तराखंड के सभी आयोग प्रामाणिक मान लें।
    पर जब तक प्रामाणिक पुस्तक में नहीं आता तब तक यशवन्त सिंह कठौच और अजय सिंह रावत जी के तथ्य मां सकते हैं। अगर ऐसा कुछ होता तो ये दोनों इतिहासकार इस पर जरूर बात करते।
    लेकिन इन्होंने ऐसा कोई वर्णन नहीं किया है।
    धन्यवाद।

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