सोर घाटी के मुख्य गावों में एक गांव है कुमौड़. कुमौड़ गांव की हिलजात्रा पूरे भारत देश ख्याति प्राप्त है. हिलजात्रा पिथौरागढ़ में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला एक कृषि उत्सव है. कुमौड़ की हिलजात्रा का सबसे मुख्य आकर्षण लखिया भूत है.
(Lakhiyabhoot Kumour Pithoragarh)
लखिया भूत हिलजात्रा के अंत में ढोल नगाड़ों की ऊंची ध्वनि के साथ प्रवेश करता है. लखिया भूत को ही लखिया देव भी कहा जाता है. माना जाता है कि वह शिव के प्रधानगण वीरभद्र का अवतार हैं.
दोनों हाथों में चंवर थामे लखिया भूत ऐसे चलते हैं मानो उनके हर कदम से धरती डोलने की संभावना हो. काले कपड़े पहने और गले में बड़े-बड़े रुद्राक्ष की माला डाले लखिया भूत को पीछे से दो बलशाली वीर मोटी रस्सियों के सहारे थाम कर रखते हैं. मोटे रस्सों से बंधे विशालकाय काया वाले लाखियाभूत की आभा देखते ही बनती है.
(Lakhiyabhoot Kumour Pithoragarh)
गल्या बल्द, हलिया, हिरन पौधे रोपने वाला पुतरिया, कोई मेंड़ बांधने वाला बौसिया, ग्वाले इस उत्सव के कुछ ने किरदार हैं. बरसों से चला आ रहा यह उत्सव आज भी हर साल पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है.
यह वीडियो लगभग 25 बरस पुराना वीडियो है. कुमौड़ गांव की हिलजात्रा का यह वीडियो 1998 का है. वीडियो में कुमौड़ गांव की पूरी हिलजात्रा रिकार्ड की गयी है. लगभग 30 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री में हिलजात्रा को बड़ी तस्सली से दिखाया गया है.
लगभग 25 साल पुराने इस वीडियो में तब छोटे-छोटे बच्चे दिखने वाले आज न जाने कहां-कहां होंगे. हो सकता है कुछ पिथौरागढ़ में हों या कुछ बाहर निकल गये हों.
(Lakhiyabhoot Kumour Pithoragarh)
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