कला साहित्य

जागो प्यारे : अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

उठो लाल अब आँखे खोलो
पानी लाई हूँ मुँह धो लो (Jago Pyare)

बीती रात कमल दल फूले
उनके ऊपर भंवरे झूले

चिड़िया चहक उठी पेड़ पर
बहने लगी हवा अति सुंदर

नभ में न्यारी लाली छाई
धरती ने प्यारी छवि पाई

भोर हुआ सूरज उग आया
जल में पड़ी सुनहरी छाया

ऐसा सुंदर समय न खोओ
मेरे प्यारे अब मत सोओ

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हिंदी भाषा के लोकप्रिय कवि हैं. उन्हें हिंदी खड़ी बोली का पहला कवि माना जाता है. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की कविताएं करोड़ों लोगों के बचपन का अटूट हिस्सा हैं.

चंद्रकुंवर बर्त्वाल की दो कविताएं यहां पढ़िये: चंद्रकुंवर बर्त्वाल की दो कविताएं

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Sudhir Kumar

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