Featured

चम्पावत के हिंगला माता मंदिर में मां भगवती झूला झूलती हैं

चम्पावत जिले से चाहर किमी की दूरी पर स्थित है ललुवापानी. यहां से एक कच्ची सड़क जाती है हिंगला देवी के मंदिर जो कि एक उपशक्तिपीठ है. ललुवापानी से हिंगला देवी मंदिर जाते हुए सबसे पहले मार्ग पर एक हनुमान का मंदिर भी स्थित है.

पौराणिक मान्यता

हनुमान मंदिर से कुछ दूरी पर ही हिंगला देवी का दरबार स्थित है. हिंगला देवी के प्रवेश द्वार से मंदिर स्थल तक की दूरी लगभग दो सौ मीटर तक की है. यह दूरी सीढ़ियों से तय की जाती है.

चम्पावत जिले के दक्षिण में घने बांज के जंगलों के बीच बसे इस मंदिर के विषय में यह मान्यता है कि मां भगवती यहां झूला झूलती थी. मां भगवती यहां से दिगालीचौड़ के मां अखिल तारिणी मंदिर तक झूला झुलती हैं.

झूले को हिंगोल कहा जाता है अतः मां भगवती द्वारा हिंगोल के नाम पर ही मंदिर का नाम हिंगला देवी मंदिर है.

ऐतिहासिक मान्यता

एतिहासिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में चंद राजाओं द्वारा किया गया था. इस मंदिर के पुजारी चंद राजाओं के साथ ही यहां आये थे. चंद वंशीय राजाओं के कुलपुरोहित पवेत गांव के पाण्डेय आज भी इस मंदिर के पुजारी हैं.

हिंगला देवी मंदिर के परिसर में जंगली हिरन का दिखना एक सामान्य सी बात है कई बार इन्हें मंदिर के भीतर भी देखा जा सकता है. हिंगला देवी मंदिर के परिसर में ही एक छोटा सा काली का मंदिर भी स्थित है. इसके साथ से ही लगा भैरव का मंदिर भी है.

फोटो : अमर उजाला से साभार

पशु बलि निषिद्ध है हिंगला देवी के दरबार में

हिंगला देवी के मंदिर में किसी भी प्रकार की पशु बलि निषिद्ध है. इस मंदिर के संबंध में मान्यता है कि यहां निसंतान दंपत्तियों की मनोकामना को देवी पूरा करती है.

एक अन्य मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यहां एक खजाना छिपा है. इस खजाने की चाबी भी मंदिर परिसर में ही मां के हिंगला देवी के पास है. उंचाई में होने के कारण इस मंदिर परिसर से चम्पावत का मनोरम दृश्य भी देखने को मिलता है.

-काफल ट्री डेस्क

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री    

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

2 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

4 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

1 week ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago