सुन्दरदूँगा ग्लेशियर के रास्ते पर आखिरी दो गांवों में से एक है जातोली. यहाँ जाने के लिए पिंडारी ग्लेशियर के रस्ते पर पड़ने वाले गाँव खाती से 2 किमी पहले एक रास्ता अलग होता है. आगे चलकर पिंडर नदी के पास पहला गाँव वाछम मिलता है. इसके आगे आप एक नयी दुनिया में पहुँच जाते हैं. रास्ते में मिलने वाले गाँवों का छल-फरेब और खुदगर्जी की इस दुनिया से कम ही वास्ता है. सीधे, सरल, निश्छल पहाड़ी लोग मेहनत करते दिख जाते हैं. इस इलाके के कई गाँव बरसात के बाद 4 महीने के लिए शेष दुनिया से पूरी तरह कट जाते हैं. इन गांवों को खड्किया से जोड़ने वाले पैदल मार्ग के पुल इस दौरान बह जाते हैं. खड्किया से कपकोट, बागेश्वर जाने वाला सड़क मार्ग ही इस इलाके को शेष दुनिया से जोड़ता है. एकमात्र पक्का पुल भी इस दौरान अक्सर बह जाया करता है.
जातोली की इसी सादगी भरी सच्ची दुनिया से आम जनजीवन कि कुछ तस्वीरें.
सुधीर कुमार हल्द्वानी में रहते हैं. लम्बे समय तक मीडिया से जुड़े सुधीर पाक कला के भी जानकार हैं और इस कार्य को पेशे के तौर पर भी अपना चुके हैं. समाज के प्रत्येक पहलू पर उनकी बेबाक कलम चलती रही है. काफल ट्री टीम के अभिन्न सहयोगी.
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5 Comments
PS Bhandar
बहुत सुंदर वर्णण व चित्रण। वर्णण यूँ लगता है जैसे कुछ एकदम से रुक सा गया
Maitreya
Beautiful description of this amazing village. Your efforts to explore and highlight such lovely places give us a good insight to know the real life of Uttarakhand. Keep up the good work sir.
Maitreya
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Maitreya
Could you please let me know about that white house near the river bank.
Maitreya
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I have recently shifted to Dwarahat from Delhi and I love to explore more about the beauty of Uttarakhand.
Keep up the good work sir.