स्वच्छ भारत अभियान के लिए कुछ कूड़ा बिखेरकर उसे साफ़ करते हुए फोटो खिंचवाने वाले नेता तो बहुत देखे होंगे. आज मिलिए एक सच्चे जनप्रतिनिधि से जो अपने क्षेत्र में जरूरत पड़ने पर कूड़ा गाड़ी चलाने से भी नहीं चूके.
ये हैं पुरोला नगर पंचायत अध्यक्ष हरिमोहन नेगी. आजकल धान रोपाई का सीजन है, इसी वजह से पुरोला क्षेत्र की कूड़ा गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर भी छुट्टी लेकर धान की रोपाई में जुटे हैं. अब ऐसे आड़े वक्त में सफाईकर्मियों को छुट्टी पर जाने से तो रोका नहीं जा सकता था. एक पेंच यह भी था कि नगर पंचायत को अभी तक प्राधिकारपत्र न मिलने से कर्मचारियों के वेतन भुगतान में समस्याएँ आ रही थीं, ऐसे में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्ति भी मुश्किल थी.
हरिमोहन नेगी ने इस मौके पर एक सच्चे जनप्रतिनिधि होने का परिचय दिया और कूड़ा इकठ्ठा करने वाली गाड़ी की ड्राइविंग सीट संभाल ली. हरिमोहन नेगी को लगा कि गाड़ी के ड्राइवरों के छुट्टियों से वापस लौट आने तक इन्तजार करने से नगर क्षेत्र में काफी कूड़ा इकठ्ठा हो जायेगा. नगर की सफाई के काम में किसी तरह की रुकावट न हो इसके लिए उन्होंने सफाईकर्मियों के सहयोग से कूड़ा इकठ्ठा करने के लिए खुद को प्रस्तुत किया. नगर पंचायत अध्यक्ष कुछ दिनों के लिए कूड़ा उठाने वाली गाड़ी के ड्राइवर बन गए. ऐसा भी नहीं है कि उनका यह कदम कोई अनुष्ठानिक कदम था, वे 4 दिन तक इस काम में सफाईकर्मियों के साथ जुटे रहे.
स्वच्छता के लिए ऐसे संकल्प और संदेश के किस्से या तो विदेशों में दिखाई देते हैं या फिर महात्मा गाँधी जैसे जननेताओं ने ही ऐसे आदर्श प्रस्तुत किये हैं. उत्तराखण्ड के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में ऐसा उदाहरण दिखाई देना देश-प्रदेश के अच्छे राजनीतिक भविष्य की उम्मीद जगाने वाला है.
हरिमोहन नेगी की 12वीं तक की पढ़ाई पुरोला में ही हुई है. स्नातक उन्होंने देहरादून से किया. ग्राम पंचायत कोरना, कुमौला के रहने वाले हैं, छात्र जीवन में राजनीति से कोई वास्ता न रखने वाले हरिमोहन ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज 2014 के पंचायत चुनावों से ही किया है.
‘काफल ट्री’ से बातचीत में नगर पंचायत अध्यक्ष कहते हैं कि ‘जब हर सुबह अनपढ़ या कम शिक्षित व्यक्ति शहर भर का कूड़ा उठा सकते हैं तो सभी शिक्षित लोगों को भी अपने भीतर सार्वजनिक सफाई के लिए जागरूकता लानी चाहिए. हम अपने घर की रोजमर्रा साफ़-सफाई के काम कर सकते हैं तो बाहर के क्यों नहीं. आखिर सफाईकर्मी भी तो हमारी तरह इंसान ही हैं.’ वे कहते हैं ‘जब अपने घर-आंगन का कूड़ा उठाना मेरे लिए शर्म का विषय नहीं है तो नगर का कूड़ा उठाना में कैसी शर्म, आखिर यह नगर यह देश भी तो मेरा आंगन ही है.’
नगर पंचायत अध्यक्ष की इस पहलकदमी की क्षेत्र में चारों तरफ चर्चा है. जनता उनके इस कदम की जमकर सराहना कर रही है.
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