एकबार फिर देहरादून सज चुका है निवेशकों के स्वागत के लिये. 5 साल बाद निवेशकों के स्वागत में किये जाने वाले भव्य स्वागत समारोह में इस बार ग्लोबल जुड़ जाने से इसका नाम हो गया है उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, हिन्दी में कहें तो उत्तराखंड वैश्विक शिखर निवेशक सम्मेलन.
(Globel Investors Summit Uttarakhand Report)
पहाड़ी भूगोल और संस्कृति के नाम पर बने उत्तराखंड राज्य को बने 23 साल हो चुके हैं. 23 साल के उत्तराखंड के लिये अब जरूरी है कि रूककर देखा जाय कि उत्तराखंड सरकार की नीतियों में पहाड़ कहां पर है. सवाल पूछे जाने चाहिये कि 5 साल पहले 80 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर जो उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट हुआ उसमें कुल कितना निवेश आया और उसमें पहाड़ के हिस्से क्या आया.
2018 में हुए उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट के बाद सरकार ने कहा कि इसमें 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव आ चुके हैं. सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किये जाने को भी खूब प्रचारित प्रसारित किया गया. जमीन पर केवल 35 हजार करोड़ का निवेश आया वह भी हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून के हिस्से. 80 करोड़ रुपये खर्च कर पहाड़ के हिस्से कुछ न आया.
(Globel Investors Summit Uttarakhand Report)
2018 में हुए उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट के बाद आये निवेश से दावा किया जाता है कि 83 हजार लोगों को रोजगार मिला. इस न आने का एक बड़ा कारण सरकार द्वारा कंपनियों को जमीन उपलब्ध न करा पाना रहा. वर्तमान सरकार ने इस कारण को ध्यान में रखकर 6 हजार एकड़ भूमि का बैंक बना लिया है ताकि निवेशकों को पिछली बार की तरह दिक्कत न आये.
पिछले इन्वेस्टर्स समिट से सबक लेते हुए वर्तमान सरकार ने तय किया है कि सरकार उन्हीं निवेशकों के साथ एमओयू साइन करेगी जो राज्य में निवेश के लिए इच्छुक और समर्पित होंगे. उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही सरकार 2.50 लाख करोड़ के लक्ष्य से अधिक के एमओयू हस्ताक्षरित होने का दावा कर रही है. एमओयू का अर्थ है दो पक्षों के बीच होने वाला एक समझौता जो नियम और शर्तों पर फोकस रहता है.
युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में इस समिट से राज्य के लोगों को खूब उम्मीद है. पहाड़ियों के नाम पर बने इसे राज्य की जनता जरुर चाहेगी कि अब राज्य सरकार की नीतियों के केंद्र में पहाड़ हो.
(Globel Investors Summit Uttarakhand Report)
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