पिथौरागढ़ नगर के पूरब में एक सुंदर सा गाँव है द्यौत जिसे देवत भी कहते हैं. गांव वाले जहां से पानी हैं उसे पनेर कहते हैं. मीठे पानी के इस स्त्रोत से एक सुंदर लोककथा जुड़ी है.
(Folk Stories of Pithoragarh)
सालों पहले द्यौत गांव में पानी का कोई स्त्रोत नहीं था. गाँव के लोगों को पानी के लिये गाँव से दूर कुसौली के पास दुना पानी के धारे जाना होता था. पानी लेने के लिये गांव की औरतें ही जाया करती थी. जब कोई औरत अकेले जाती तो उसे दुना पानी का बाइस हाथ लम्बी चोटी वाला एकदढ़िया राक्षस रोक लेता.
वह कभी किसी औरत से बदन की मालिश करवाता तो कभी किसी औरत से अपनी बाईस हाथ लम्बी चोटी में जुएं ढूंढने को कहता. गांव की औरतें बेमन से ये सब करती पर लोक-लाज के डर कभी अपने घर में न बताती.
एक बार गांव में बहुत सुंदर लड़की बहु बनकर आई. शादी के तीन-चार दिन बाद ही जब वह दुना पानी के धारे गयी तो उसे वहां एकदढ़िया राक्षस ने पकड़ लिया. पहले ही दिन राक्षस उसे देख इतना मोहित हो गया कि आये दिन उसे पकड़कर अपने बदन की मालिश करवाने लगा. लोक लाज के डर से लड़की किसी ने कुछ कह न पाई पर भीतर से चलने वाले इस दुःख से कमजोर हो चली.
(Folk Stories of Pithoragarh)
एक दिन जब उसके पति ने इसका कारण पूछा तो पहले वह बताने से खूब डरी पर जब पति ने उसे डांट डापट कर पूछना शुरु किया तो बच्चे की तरह रोते हुए उसने सारी आप-बीती कह दी. पति गुस्से से आग बबूला हो गया. रातभर नींद न आई.
अगली सुबह उसने पत्नी से कहा कि तुम घर पर ही रहो और ख़ुद उसके कपड़े और आभूषण पहन घुंघट के साथ दुना पानी के धारे चला गया. इत्र की तेज महक से राक्षस उसे दूर से देखते ही मदहोश हो चुका था सो आते ही उससे बदन की मालिश करवाने को लेट गया.
(Folk Stories of Pithoragarh)
आदमी जब उसकी मालिश के लिये पीठ पर बैठा तो उसने उसे पहले सिर की जुएं खोजने को कहा. आदमी एक हाथ से उसकी जुएं ढूंढने लगा और दूसरे हाथ में एकदढ़िया राक्षस की बाईस हाथ लम्बी चोटी लपेटने लगा. पूरी चोटी हाथ में लपेटने के बाद उसने राक्षस का सिर जमीन में पटकना शुरु कर दिया.
राक्षस ने अपनी हार मानकर उससे मांफी मांगी. आदमी ने उससे दुना पानी का धारा छोड़ जाने को कहा जिसपर राक्षस राजी हो गया. अपनी पत्नी के प्रति इस प्रेम को देखकर राक्षस भी पिघल गया और उसने उसे कोई वरदान मांगने को कहा. पति ने कहा अगर कुछ देना ही है तो हमारे गांव में ही पानी का कोई स्त्रोत दे दो. राक्षस ने उसकी बात मान ली और कहा तुम्हारे गांव के दक्षिण पश्चिम में एक काले हिसालू का पेड़ है उसकी जड़ को उखाड़ना पानी का स्त्रोत बन जाएगा. आज भी द्यौत गांव के लोग इसी पनेर का पानी पीते हैं.
(Folk Stories of Pithoragarh)
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