राज्य सरकार ने भले ही उत्तराखंड में 1 अगस्त से प्लास्टिक की थैलियों समेत सभी उत्पादों पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया हो लेकिन गंगा घाटों पर प्रदेश सरकार का आदेश लागू होते हुए नजर नही आ रहे हैं.
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर गंगा घाटों पर प्लास्टिक बेचा जाता है तो जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) हरिद्वार को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. साथ ही निर्देश दिए कि घाटों को हर तीन घंटे साफ किया जाना चाहिए और इसका वीडियो जमा किया जाना चाहिए.
बता दें कि पहले से ही गंगा घाट में प्लास्टिक उत्पादों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व उत्तराखंड हाईकोर्ट पूर्णतः रोक लगाने के आदेश जारी कर चुका है. तब भी गंगा घाटों में प्रशासन इसे लागू नहीं कर पाया था और अब राज्य सरकार के आदेश के बाद भी आदेश के अनुपालन नहीं हो पा रहा है.
अदालत ने कहा, “हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देश दिया जाता है कि अब घाटों पर कोई प्लास्टिक नहीं बेची जाए, उल्लंघन करने के मामले में, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी”. मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एक खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश से नरेंद्र द्वारा पीआईएल के बाद निर्देश जारी किए.
गौरतलब है कि हरिद्वार जिले में 78 घाट हैं जिनमें से लगभग 50 सार्वजनिक घाट हैं. प्रशासन ने हाल ही में प्लास्टिक प्रतिबंध को सुनिश्चित करने और उल्लंघन की जांच करने के लिए सभी सार्वजनिक घाटों के प्रबंधन के लिए 13 करोड़ रुपये का निविदा जारी किया,लेकिन अभी तक धरातल पर कोई इस दिशा में कोई काम नहीं हो सका हैं.
प्रशासन का दावा है कि व्यवस्था को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं और काम अगस्त 201 9 तक पूरा हो जाएंगे. हमने पहले से ही अतिक्रमण हटा दिए हैं और कर्मचारियों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए रखा है.
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