मेघालय युग की खोज

भू-वैज्ञानिकों ने धरती के इतिहास में एक नया युग ‘मेघालय युग’ खोजा है. अन्तराष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक संघ ( आई.यू.जी.एस.) ने आधिकारिक तौर पर मेघालय युग को स्वीकार कर लिया है. भू-वैज्ञानिक इतिहास दृष्टिकोण से हम जिस युग में रह रहे हैं वह होलोसीन युग है. होलोसीन युग का प्रारंभ 11,700 वर्ष पहले हुआ था.  जिसे तीन उपवर्गों ग्रीनलैनडियन, नॉर्थगरिपियन और मेघालय युग में बांटा गया है. मेघलायन युग इसमें नवीनतम है. भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि इस युग की शुरुआत 4200 वर्ष पूर्व हुई.

भू-वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोज के अनुसार, मेघालय युग की शुरुआत भयंकर सूखे के साथ हुई थी जिसका असर 200 सालों तक रहा. इस सूखे के कारण सिंघु घाटी, यूनान, सीरिया, फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया, मिस्र और यांग्त्से नदी घाटी में कृषि आधारित सभ्यताएँ समाप्त हो गईं.

शोधकरताओं की एक टीम ने मेघालय की एक गुफा मावम्लूह की छत से टपक कर फर्श में जमा स्टैलेगेमाइट चुने को एकत्र कर उसका अध्ययन किया. स्टैलेगेमाइट चुने के अध्ययन ने धरती के इतिहास में घटी सबसे छोटी जलवायु घटना को परिभाषित करने में मदद की. इसी कारण इस युग को मेघालायन युग का नाम दिया गया.

121 देशों के भू-वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन आई.यू.जी.एस. एक अन्तर्ऱाष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो भू-विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करता है. आई.यू.जी.एस. की स्थापना 1961 में की गई थी.

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Girish Lohani

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