समाज

दलित भोजनमाता की नियुक्ति के बाद सूखीढांग मामले का पटाक्षेप

2 सप्ताह से सूखीढांग इंटर कॉलेज के भोजनमाता प्रकरण में आखिरकार शासन द्वारा दलित भोजन माता सुनीता देवी की नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी. सूखीढांग इंटर कॉलेज में सीईओ आरसी पुरोहित की अध्यक्षता में हुई बैठक में भोजन माता सुनीता देवी के चयन में मुहर लगा दी गयी. गौरतलब है कि इस बैठक में शिक्षक अभिभावक संघ और स्कूल प्रबंधन कमिटी ने मौखिक तौर पर किसी एक नाम पर सहमति नहीं जतायी.  इसके बाद पूर्व में चयनित दलित भोजन माता सुनीता देवी का चयन किया गया. (Champawat Dalit Bhojan Mata)

शासनादेश के मुताबिक किसी भी वर्ग की ऐसी महिला जिसका पाल्य उसी स्कूल की निचली कक्षाओं में पढता हो, एवं वह बीपीएल कार्ड धारक भी हो, को इस नियुक्ति पर वरीयता दी जानी थी. इसके तहत सुनीता देवी को पात्र पाया गया. गौरतलब है कि सवर्ण अभिभावकों द्वारा इस पूरे मामले को गलत नियुक्ति के तौर पर प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी थी. शुरुआती जांच के क्रम में खंड शिक्षा अधिकारी ने सुनीता देवी की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. अंततः सुनीता देवी के ही चयन को उपयुक्त पाया गया. पुनः नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गयी. इसके बाद सुनीता देवी को मानदंडों पर खरा पाया गया और उन्हें नियुक्ति दे दी गयी.

चम्पावत में दलित भोजन माता के हाथों बना मिड डे मील बहिष्कार मामला

क्या है मामला

चम्पावत के सूखीढांग इंटर कॉलेज में कुल 230 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. इनमें से 66 मिड डे मील के दायरे में आते हैं, जिसमें से 16 दलित व शेष सवर्ण हैं. विद्यालय में भोजन माता के 2 पद हैं. शकुन्तला देवी भोजन माता और विमलेश उप्रेती यहां भोजन माता के पद पर कार्यरत थीं. हाल ही में शकुन्तला देवी सेवानिवृत्त हुईं.

28 अक्टूबर को विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने नयी भोजन माता की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी. प्रधानाचार्य को इस पद के लिए 6 आवेदन मिले जिनमें एक अनुसूचित जाति का था. विद्यालय प्रबंधन समिति व शिक्षक अभिभावक संघ के कुछ सदस्यों ने पुष्पा भट्ट को भोजन माता चुने जाने को सही माना. क्योंकि पुष्पा भट्ट एपीएल श्रेणी की थीं अतः विद्यालय प्रबंधन कमिटी के सचिव की हैसियत से प्रधानाचार्य ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किये.

12 नवम्बर को भोजन माता के रिक्त पद के लिए पुनः विज्ञप्ति जारी की गयी. अब प्राप्त 11 आवेदनों में से एक निरस्त कर दिया गया और बचे 10 आवेदनों में से 5 अनुसूचित जाति तथा 5 सामान्य वर्ग से थे. स्लकू द्वारा अन्य आवेदनों कि जांच कर नियुक्ति के लिए रसायन विज्ञान के प्रवक्ता चंद्रमोहन मिश्रा की अध्यक्षता में 4 शिक्षकों की समिति बनायीं. कमिटी ने बीपीएल श्रेणी की सुनीता देवी को उपयुक्त पाकर उनके नाम की संस्तुति दे दी.

इसे भी पढ़ें : नैनीताल के ओखलकांडा में दलित भोजन माता का बनाया खाना खाने से इनकार

25 नवम्बर को इस सम्बन्ध में चर्चा के लिए आयोजित बैठक में शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र जोशी, विद्यालय प्रबंधन कमिटी अध्यक्ष रामस्वरूप राम, बीडीसी मेंबर दीपा जोशी, जौल के ग्राम प्रधान दीपक कुमार और सियाला के प्रधान जगदीश कुमार मौजूद रहे. प्रधानाचार्य की गैरमौजूदगी में प्रभारी प्रधानाचार्य चन्द्रमोहन मिश्रा इस बैठक में शामिल थे. इस बैठक में सवर्णों ने पुनः पुष्पा भट्ट के नाम का प्रस्ताव रखा और दलित प्रतिनिधि सुनीता देवी के पक्ष में रहे. वाद-विवाद के बाद दलित प्रतिनिधि बैठक छोड़कर चले गए. सवर्ण गुट ने पुष्पा भट्ट का प्रस्ताव पास कर दिया. चन्द्रमोहन मिश्र ने इस प्रस्ताव पर दस्तख़त करने से मना कर दिया.  

प्रधानाचार्य प्रेम सिंह द्वारा सर्वसम्मति बनाने की गरज से एक और बैठक 4 दिसंबर को पुनः बुलायी. सवर्ण प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल नहीं हुए. इसी बैठक में दलित वर्ग की सुनीता देवी के नाम पर पुनः मुहर लगायी गयी.

इसे भी पढ़ें : कफल्टा से श्रीकोट तक उत्तराखंड का जातिवादी चेहरा

प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने सुनीता देवी को 13 दिसम्बर से काम पर आने को कहा और स्पष्ट किया कि नियमानुसार खंड शिक्षा अधिकारी की संस्तुति मिलने पर ही वे औपचारिक नौकरी पर मानी जाएँगी.

बच्चों को पढ़ाया जातिवादी पाठ

सुनीता देवी के भोजन माता के रूप में काम करने के पहले दिन ही राज्य की नसों में पैठा जातिवादी मवाद बहने लगा. 13 दिसंबर को पहले ही दिन 7 बच्चों ने सुनीता देवी के हाथों बना भोजन खाने से मना कर दिया. धीरे-धीरे दलित भोजन माता के हाथों बने भोजन का बहिष्कार करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ने लगी. सुनीता देवी की नौकरी के आठवें और आख़िरी दिन उनके हाथों बना भोजन सिर्फ 16 बच्चों ने खाया और ये सभी अनुसूचित जाति के थी. जिन सवर्ण बच्चों ने भोजन का बहिष्कार किया उन्होंने बताया कि परिजनों ने उन्हें मिड डे मील का बहिष्कार करने को कहा. बच्चों को कहा गया कि घर में सब पूजा-पाठ वाले हैं तो वे दलित के हाथों बना भोजन न खाएं.

विभाग की लीपापोती

मामले के मीडिया में उछालने के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित ने मामले पर जांच बैठाते हुए खंड शिक्षा अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंप दिया. पुलिस विभाग ने भी चल्थी के चौकी इंचार्ज देवेन्द्र सिंह बिष्ट की अगवाई में जांच शुरू कर दी, हालांकि कोई रपट दर्ज नहीं की है. जांच शुरू होते ही सुनीता देवी की मौखिक नियुक्ति को रद्द कर दिया गया और सहायक भोजन माता उप्रेती मध्याहन भोजन बनाने लगीं.

मामले ने नया मोड़ तब ले लिया जब सुनीता देवी ने जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल व उत्पीड़न को लेकर पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज की. उन्होंने हर मोर्चे पर इस लड़ाई को लड़ने की बात भी कही. प्रकरण तब और ज्यादा देशव्यापी चर्चा का कारण बन गया जब दलित छात्र-छात्राओं ने भी सवर्ण भोजन माता के हाथों बने भोजन का बहिष्कार कर दिया. यह देश में अपनी तरह का पहला मामला बन गया.

समूचे प्रकरण ने उत्तराखण्ड की सतह के भीतर छिपे बैठे जातिवादी चेहरे को उघाड़कर रख दिया. अब शासन-प्रशासन तेजी से मामले के हल करने में जुट गया. इस मामले में सुनीता देवी द्वारा शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष व् क्षेत्र पंचायत सदस्य समेत कुछ लोगों पर दलित उत्पीड़न का मुकदमा भी कायम कराया गया था. इस मामले में मुकदमा दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है.    

आज के दिन ही घटा था कफल्टा का शर्मनाक हत्याकांड

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago