लिखना बेशक एक कला है. विद्या है. इसमें प्रतिभा के साथ-साथ कड़े अभ्यास की भी ज़रूरत होती है. कई जानकार मानते हैं कि लेखन में नियमित अभ्यास का बड़ा ही महत्व है और यह बड़ा ही मुफ़ीद होता है. और कुछ... Read more
उत्तराखण्ड का इतिहास भाग- 2
प्रागैतिहासिक काल- गढ़वाल और कुमाऊँ की पहाड़ियों और उनके तलहटी क्षेत्रों में प्रागैतिहासिक काल के संबंध में अभी तक अधिक कार्य नहीं हुआ है. प्रागैतिहासिक काल इतिहास का वह काल है जिसके संबंध में... Read more
इस बार मण्डल के साथ कमण्डल
लगभग तीन दशक बाद ‘मण्डल-राजनीति’ का नया दौर शुरू हुआ है. रोचक बात यह है कि इस बार वही भारतीय जनता पार्टी इसकी जोरदार पहल कर रही है जिसकी ‘कमण्डल-राजनीति’ की काट के लिए 1990 में तत्कालीन प्रध... Read more
दिलीप कुमार बोले – आशा परी बहुत नाम कमाएगी
गुज़रे दिनों की मशहूर अभिनेत्री आशा पारेख की मां का नाम सलमा था, सलमा इब्राहीम लाखड़ावाला. बच्चूभाई मोतीलाल पारेख से शादी करके वो सुधा हो गयी थी. बहुत हंगामा हुआ था दोनों के परिवार में. लेकिन... Read more
जर्मनी के महान वैज्ञानिक और भौतिक शास्त्र में नोबल पुरुस्कार विजेता अल्बर्ट आइंस्टीन को सारी दुनिया जानती है. उन्होंने प्रकाश विद्युत प्रवाह की क्वांटम सिद्धांत पर व्याख्या करके विज्ञान की द... Read more
नन्दादेवी महोत्सव
नंदाकोट, नंदाकिनी, नंदाघूँघट, नंदाघुँटी, नंदादेवी, नंदप्रयाग, और नंदाभनार जैसे अनेक पर्वत चोटियाँ, नदियाँ तथा स्थल नंदा को उत्तराखण्ड में प्राप्त धार्मिक महत्व दर्शाते हैं. नंदा कुमाऊं, गढ़वा... Read more
पार्रा ठहाका मारता है मानो उसे नरक में भेजा जा रहा हो लेकिन आप बताएं कवियों ने कब नहीं लगाया ठहाका कम से कम वह दम ठोक कर कह तो रहा है कि वह ठहाका मार रहा है पाब्लो नेरुदा के बाद चीले के सबसे... Read more
ह्यूंद का चोर और लागुली की काखड़ियाँ
इन दिनों भादो-असोज के चटक नीले आसमान से बिखरते घाम से हरे गलीचे सी बिखरी घास, पेड़ों की टहनियों से लिपटे पत्ते, एक दूसरे से उलझी लिपटी झाड़ियाँ सब हलके पीलेपन से ढंकने लगी थीं. ठागरों के सहारे... Read more
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के डंगोली में स्थित मां कोट भ्रामरी का नन्दाष्टमी मेला शुरू
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के गरूड तहसील के डंगोली में स्थित मां कोट भ्रामरी का नन्दाष्टमी मेला शनिवार से शुरू हो गया. यह ऐतिहासिक और धार्मिक कोट भ्रामरी व नंदाष्टमी का पौराणिक मेला है. जखेड... Read more
हम जाने भी कहां देंगे तुमको गिर्दा
उस साल यानी 2010 में अचानक एक याद बन गया गिर्दा. इतवार, 22 अगस्त का दिन था. बारह बजे के आसपास मोबाइल फोन कुनमुनाया. देखा, लखनऊ से नवीन का संक्षिप्त एस एम एस था- ‘हमारे गिर्दा चल दिए इस दुनिय... Read more