एक युवा कवि को पत्र – 2 – रेनर मारिया रिल्के
“एक युवा कवि को पत्र” महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त जर्मन सेना में भर्ती होने का विचार कर रहे फ़्रान्ज़ काप्पूस नामक एक युवा को सम्बोधित... Read more
शेरदा अपनी जगह पर बने रहेंगे – अद्वितीय
पहली बार नैनीताल के एक शरदोत्सव में हुए कुमाऊंनी कवि सम्मलेन में शेरदा को कविता पढ़ते सुना. कुमाऊं के उस बेजोड़ शोमैन का मैं तुरंत दीवाना हो गया था. बीस-तीस और कविगण भी मंच पर शोभायमान थे और... Read more
पहाड़ से भी विकराल है पूँजीपतियों की हवस
इट्स ऑसम… वैदर इज़ सो कूल… सनशाइन फील्स सो गुड… झुलसाती गरमी में जेब में पैसे हों तो पहाड़ पहुँचकर आप भी ऐसा ही कुछ कहेंगे. पहाड़ कितने ख़बूसरत होते हैं पर्यटकों के लिए. उन... Read more
प्राचीन संस्कृति को अंतिम बुके पारंपरिक भारतीय कलियों और फूलों की ख़ुशबुएँ पांडवों की तरह स्वर्गारोहण की सदिच्छा से हिमालय की ओर चली गई हैं. क्योंकि जिन फूलों का भारतीयकरण किया गया है उनमें... Read more
प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है. स्वामीनाथन जेनेटिक वैज्ञानिक हैं. तमिलनाडु के रहने वाले इन वैज्ञानिक ने 1966 में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्... Read more
खंभे पर चढ़कर शुभकामनाएं देते भाई साहब
भाई साहब, त्योहारों से ऐन पहले सड़क किनारे के बिजली के ख़म्भों पर चढ़ जाते हैं. आप यह मत सोच लेना कि भाई साहब बिजली विभाग से हैं और लोगों की असुविधा को ध्यान में रखकर लाइनें दुरस्त करने के काम... Read more
जोहार घाटी का सफ़र – 1
जोहर घाटी में मिलम गांव भूले नहीं भूलता है. दो बार हो आया जोहार की इन घाटियों में. फिर भी न जाने ये क्यों खींचती सी हैं अभी भी. पहली बार 1998 में गया था तो मुनस्यारी से आगे जाते—जाते ये घाटि... Read more
माधुरी दीक्षित, नानाजी और पानी की बोतल का किस्सा
नानाजी किसी बीमा कम्पनी में लम्बी नौकरी कर बड़ी पोस्ट से रिटायर हुए थे. सगे नाना नहीं थे. किसी रिश्ते से माँ के चचा लगते थे. हमारे बचपन में जाड़ों के दिनों वे हमारे घर आते तो दो-दो, तीन-तीन मह... Read more
खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर 1
यह 2007 की बात है. दिन-वार ठीक से याद नहीं. अक्टूबर का महीना था. उन दिनों रामलीला(एं) चल रही थीं. अल्मोड़ा से तीन जने दिल्ली के लिए रवाना हुए – बागेश्वर से केशव, अल्मोड़ा से रज्जन बाबू औ... Read more
आजाद हिन्द फौज और गढ़वाली सैनिक
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर गढ़वाल राइफल्स की 2/18 और 5/18 बटालियन पहले से ही मौजूद थी. 15 फरवरी, 1942 को सिंगापुर पर जापानियों का आधिपत्य हो जाने पर लगभग... Read more