महबूब खां का एक्स्ट्रा से एक्टर तक का सफ़र
महबूब खां का जन्म बड़ौदा ( गुजरात ) के निकट सरार गाँव में एक निहायत गरीब परिवार में हुआ था, जहां किसी भी तरह की औपचारिक शिक्षा के लिए न कोई प्रेरणा थी और न साधन सुलभ थे. रही- सही कमी पूरी की... Read more
एक डग भीतर जाने के लिए सौ डग बाहर आना पड़ता है
अपनी नई कविताओं की रोशनी में कवि लीलाधर जगूड़़ी -शिवप्रसाद जोशी लीलाधर जगूड़ी अपनी ही कविता में एक नवागंतुक की तरह दाखिल हो रहे हैं और भीतर जितना पड़े हैं उससे कहीं ज़्यादा बाहर खड़े हो गए... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 7
दुनिया की सब माँ ये एक सरीखी होती हैं आज इतवार के चलते अपन अलसाए से लेते रहे. कई बार उठने की सोचे पर मामला टालते रहे जैसे सरकारे जरूरी बिल भर कोशिश टरकाती है. आखिर में रजाई, गठबन्धन-सरकार से... Read more
जीवन रचते व्यंग्य चित्र – 2
दुगड्डा, पौड़ी गढ़वाल में रहने वाले जागेश्वर जोशी मूलतः बाडेछीना अल्मोड़ा के हैं. वर्त्तमान में माध्यमिक शिक्षा में अध्यापन कार्य कर रहे हैं. शौकिया व्यंगचित्रकार हैं जनसत्ता, विश्वामान... Read more
बेरीनाग टू बंबई वाया बरेली भाग- 3
पिछली कड़ी से आगे… हैवलोक लाइन्स , मिलेट्री अस्पताल और सिकंदराबाद… कभी सोचिए, जो ज़िंदगी आपने जी तो हो और आपको बिलकुल भी याद ना हो? ऐसा शायद दो ही सूरत में होता है. जब आप की उम्र तीन-चा... Read more
दुनिया भर में पहुंचता है उत्तराखण्ड का मडुआ
जैसे-जैसे खाद्य पदार्थों में कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे लोगों का शरीर बीमारियों का घर बन गया है. मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार सर्वाधिक बीमारी लोगों को खान-पान में मौजू... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 2
(पिछली क़िस्त का लिंक: पहाड़ और मेरा बचपन – सुंदर चंद ठाकुर का नया कॉलम) मेरी दूसरी स्मृति एक सांप की उलटी पड़ी लाश से जुड़ी हुई है. हमारे अहाते से एक रास्ता ऊपर जंगल से सटकर जाती मुख्य... Read more
रविवार को रायपुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय खेल स्टेडियम में दो दिनी उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. त्तराखंड में जुटे देश-दुनिया के पूंजी निवेशकों और बिजन... Read more
पीएम मोदी रविवार को एक दिन के दौर पर देहरादून पहुंचे हैं. उन्होंने यहां पर इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया. समिट दो दिन तक चलेगा. देश-दुनिया के पूंजी निवेशकों और बिजनेस लीडर्स को संबोधित कर... Read more
मैं शायद अमर हो जाऊं
अमरता के अहसास की भयावनी रात -शरद जोशी कल रात जब सोया तो एकाएक मैंने अनुभव किया कि हिंदी साहित्य का मोटा इतिहास मेरे सीने पर रखा है और उस पर एक स्कूल मास्टर बैठा बैंत हिला रहा है. एकाएक मेरे... Read more