बेपरवाह बच्ची
बेपरवाह बच्ची -पद्मिनी अबरोल ”ये देख लो रश्मि मैडम, इस बच्ची का हाल ! मैंने तीन दिन पहले इसे अच्छे बच्चे की कॉपी फोटोस्टेट करवा के दी थी,मगर इसने इनका भी ये हाल कर दिया !” मैंने... Read more
क्षितिज तक फ़सल काट रही औरतें
आलोक धन्वा की यह कालजयी कविता कई कई बार सार्वजनिक मंचों पर पढ़े जाने की दरकार रखती है. भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य में स्त्रियों खासतौर पर ग्रामीण और सुदूर इलाकों में रहने वाली स्त्रियों के... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 1
[वरिष्ठ लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी के संस्मरण और यात्रा वृत्तान्त आप काफल ट्री पर लगातार पढ़ते रहे हैं. पहाड़ पर बिताए अपने बचपन को उन्होंने अपनी चर्चित किताब ‘मेरी यादों का पहाड़’ में ब... Read more
बज्जर किस्म के शिकायती भाई साहब !
भाई साहब से मेरी जान-पहचान इनके बचपन से है. जैसे किसी व्यक्ति के भीतर प्रेम, करुणा तथा दया अथवा झूठ, कपट तथा कमीनापन कूट-कूट कर भरा होता है, इनके अंदर बचपन से ही शिकायतें कूट-कूट कर भरी थी.... Read more
साझा कलम : 10 आशीष ठाकुर
[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर रहे हैं. अपने गाँव, शहर, कस्बे या परिवार की किसी अन्तरंग और आवश्यक स्मृति को विषय बना कर आप चार सौ से... Read more
जीवन रचते व्यंग्य चित्र – 3
दुगड्डा, पौड़ी गढ़वाल में रहने वाले जागेश्वर जोशी मूलतः बाडेछीना अल्मोड़ा के हैं. वर्त्तमान में माध्यमिक शिक्षा में अध्यापन कार्य कर रहे हैं. शौकिया व्यंगचित्रकार हैं जनसत्ता, विश्वामान... Read more
डिब्बाबंद मुल्क और बड़ी होती लड़की
करीब ढाई साल गुजरे उस बात को, जब मेरी एक कजिन, जो हमारे ठेठ सामंती, ब्राम्होण परिवार में साफ दिल वाली एक लड़की थी, ने एक बेटी को जन्मत दिया. मैं मुंबई गई थी, तब बिल्कुकल अकेली थी. ननिहाल, ती... Read more
पहाड़ी माँ के जीवन की संघर्षगाथा
पांच दशक पूर्व तक पहाड़ में नारी के कठिन और संघर्षपूर्ण जीवन गाथा की आज कल्पना भी नहीं की जा सकती. उन दिनों गांव की अधिकांश महिलाओं को सुबह बिना कुछ खाए अथवा मंडूवे की रोटी का एक आधा टुकड़ा, ब... Read more
एक पासपोर्ट साइज़
स्मृति के कोई दर्ज़न भर स्थिर-चित्रों से बना था उसका शहर. उसका शहर पतली सड़कों और बक्सेनुमा मकानों का संकुल न होकर कुछ चित्रों की लड़ी था. इस लड़ी को दोनों सिरों से कहीं बांध दो तो रंग बिरंगी झा... Read more
एक युवा कवि को पत्र – 5 – रेनर मारिया रिल्के
“एक युवा कवि को पत्र” महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त जर्मन सेना में भर्ती होने का विचार कर रहे फ़्रान्ज़ काप्पूस नामक एक युवा को सम्बोधित... Read more