एक बुरूंश कहीं खिलता है
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 1 एक बुरूंश कहीं खिलता है – हरीश चन्द्र पांडे खून को अपना रंग दिया है बुरूंश ने बुरूंश ने सिखाया है फेफड़ों में भरपूर हवा भरकर कैसे हंसा जाता है क... Read more
क्या आपको भी अपने गाँव का घर बुलाता है?
मेरे घर रह जाना -शिवप्रसाद जोशी “मेरी सबसे सतत और सजीव स्मृतियां लोगों के बारे में उतनी नहीं हैं जितनी कि अराकाटका के उस घर के बारे में हैं जहां मैं अपने नानी नाना के साथ रहता था. ये ऐसा बार... Read more
सिनेमा : कालजयी फ्रेंच फिल्म ‘रेड बैलून’ का जादू
फ़्रांस के फ़िल्मकार अलबर्ट लेमुरेस्सी द्वारा बच्चों के लिए बनायी फ़िल्म ‘रेड बैलून’ अपने निर्माण के साठ साल बीत जाने के बावजूद अब भी जहाँ कहीं भी दिखाई जाती है अपने दर्शकों का दिल जीत लेती है.... Read more
तूने मारी एंट्रियाँ रे दिल में बजी घंटियाँ रे उर्फ़ एक उत्तराखंडी कल्चर फेस्टिवल की पहली झलकी
अल्मोड़ा में इन दिनों अल्मोड़ा फेस्टिवल चल रहा है. यह सभी जानते हैं कि हमारी सरकारें लम्बे समय से इस चिंता में घुली जा रही हैं कि पहाड़ी आदमी अपनी संस्कृति भूल गया है. इस चिंता के शमन के लिए सम... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 4
पिछली क़िस्त पहाड़ और मेरा बचपन – 3 गांव की और भी कई धुंधली यादें हैं. मसलन यह कि मैं ज्यादातर अपनी हमउम्र लड़कियों के साथ खेलता था. दो के नाम मां आज भी लेती है. एक कल्यूरी और दूसरी आशा. दोनो... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 1
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
डॉक्टर मोहन अगाशे एक कुशल अभिनेता हैं और साथ ही साथ मनोचिकित्सक भी. पूना में रहते हैं. 71 साल की उम्र है. फिल्मों के अलावा नाटकों में आज भी जमकर सक्रिय रहते हैं. पूना के प्रभात रोड पर एक रेस... Read more
लोक कथा : ब्यौला मर जायेगा पर गांठा नहीं टूटेगा
छोटी दादी रंगत में थी बोली आओ रै छोरों आज तुम्हे ऐसे बामण की कथा लगाउंगी जो न्यूत के बुलाया गया अर बिचारा पीट के पठाया गया. लो जी दादा जी कहते हैं बिन मांगे मोती मिले अर मांगे मिले न भीक. हम... Read more
“साब सीएम तो तिवारीजी ही थे”
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, आंध्रप्रदेश के पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री नारायण दत्त तिवारी नहीं रहे. उन्होंने लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में दिल्ली के एक... Read more
गुर्जी अगर सँभलोगे नहीं तो ऐसे गिर पड़ोगे – हलवाहे राम और लेक्चरार साब की नशीली दास्तान
दोनों में अटूट दोस्ती थी. कुछ ऐसी कि, लंबे समय तक इस दोस्ती ने खूब सुर्खियाँ बटोरी. दोनों के घर आस-पास ही थे. एकदम निकट पड़ोसी समझ लीजिए. उनमें से एक, पूरे गाँव-जवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिख... Read more