नीम करोली बाबा की दुर्लभ तस्वीरें – 2
नैनीताल और गरमपानी के बीच स्थित नीम करोली ( नीब करौरी ) आश्रम, कैंची धाम लम्बे समय से श्रध्दालुओं की भक्ति के बड़े केंद्र के रूप में विकसित होता जा रहा है. इस आश्रम की स्थापना करने वाले बाबा... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 8 (पिछली क़िस्त : अमीर अंकलों की खैरात से जब दिल्ली में मैंने मौज उड़ाई ) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.... Read more
पहाड़ों में अब मौसमी गीत ही गीत हैं. बसंत बरसात और प्यारा जाड़ा तो है. जाड़ा अब उतना गुलाबी नहीं जैसे हुआ करता था. बरसात में यदा – कदा रिमझिम बरखा होती तो है ज्यादा तो फट के ही बरसती है.... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 13
एक वह दोस्त उन्हीं दिनों एक दिन मेरा वह एक दोस्त आ गया. बोला, इलाहाबाद जा रहा था लेकिन देवेन तुम्हारी याद आई तो पहले दिल्ली चला आया. चलो यार खूब बातें करेंगे, साहित्य की, कला की. मैंने पूसा... Read more
पिछौड़ा उत्तराखण्ड का एक पारम्परिक परिधान
पिछौड़ा उत्तराखण्ड में सभी मांगलिक कार्यक्रमों में विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक पारंपरिक परिधान है. पुराने समय में पिछौड़ा शादी के समय केवल दुल्हन द्वारा ही पहना जाता था. जिसे लड़के... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 30
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
हल्द्वानी से रामनगर (जिला-नैनीताल) के रास्ते पर बैलपड़ाव से पहले एक छोटा सा गाँव है चूनाखान. यहाँ से एक सुन्दर सी पगडण्डी घने जंगल की सैर करते हुए बाराती रौ झरने की तरफ जाती है. चूनाखान से बा... Read more
बारह मास विलास
साधो हम बासी उस देस के – 2 -ब्रजभूषण पाण्डेय मेला गाँव का पहले से लेकर तीसरे तक सबसे प्रमुख त्योहार था. होली दशहरा चौथे पाँचवे पर आते. त्योहार के साथ साथ सिंगार पटार उखल मूसल और पटरे वाली चौ... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 37
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में लंबे समय तक संस्कृत के प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष रहे डीडी शर्मा अवकाश प्राप्त करने के बाद हल्द्वानी नवाबी रोड में निवास कर रहे थे. वे उत्तरी भारत में अपनी श्... Read more
शुभम धर्मशक्तू एक युवा यायावर है जो कश्मीर से कन्याकुमारी की 4000 किमी. से ज़्यादा लम्बी पैदल यात्रा पर निकल पड़ा है. 25 साल के शुभम सस्टैनेबिलिटी, प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन, प्लास्टिक निष... Read more