क्रिकेट के पुछल्लों के कारनामे
ऐसा कई बार हुआ है कि बोलिंग टीम सामने वाली के छक्के छुड़ा कर शुरुआती छः-सात विकेट सस्ते में निबटा लेती है, लेकिन पीछे वाले बल्लेबाज़ यानी टेल एन्डर्स भले भले गेंदबाज़ों की नाक में दम कर देते है... Read more
रोटी के साथ उम्मीद भी जुटानी पड़ती है
सड़क चलता कोई व्यक्ति एक्सिडेंट का शिकार हो जाए, इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं होती. लेकिन इस दुर्घटना का चौतरफा असर जब उसके जीवन पर पड़ना शुरू होता है तो वह इसे एक अलग-थलग घटना मानकर आगे नहीं... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 58
इस परिवार की दूसरी फर्म जवाहरलाल जगन्नाथ प्रसाद नाम से बनी, जिसमें मिश्री गट्टा, बूरा का कार्य होता था. सदर बाजार, पियर्सनगंज क्षेत्र में इनका कारोबार था. लाला जगन्नाथ प्रसाद आयुर्वेद के अच्... Read more
कब बन जाते हैं आदमी के दो चेहरे
इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार – पंद्रहवीं क़िस्त क्या आपने इलाचंद्र जोशी के ‘प्लेंचेट’ और परामनोविज्ञान का नाम सुना है? 1965-66 के दौरान ‘धर्मयुग’ में संपादक धर्मवीर भारती ने परा-मन... Read more
मुनस्यारी का लाल बुरांश
कुमाऊंनी में जब भावना, कमला, चंदा, हिमा, बब्ली जैसी नायिकाओं के नाम वाले गीतों का वर्चस्व है उस समय भल मेरो मुनस्यार गीत के शब्द आपको एक नई उम्मीद देते हैं. जब कुमाऊंनी में गीत के नाम पर जीज... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 56
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
तुलसी रैमसे को इतनी श्रद्धांजलि तो बनती है!
कराची और लाहौर में इलेक्ट्रोनिक्स के सामान की दुकान चलाने वाले फतेहचंद रामसिंघानिया को बंटवारे के चलते अपना कारोबार बंद कर 1947 में बम्बई आना पड़ा. फतेहचंद के सात बेटे थे – कुमार, केशू,... Read more
क्रिकेट के खेल में फील्डिंग का भी बहुत महत्त्व है. जोंटी रोड्स जैसे खिलाड़ी फील्डिंग की इस महत्ता को नयी ऊँचाइयों तक ले गए हैं. अक्सर देखा जाता है कि किसी फील्डर द्वारा बेहतरीन फील्डिंग से बच... Read more
हम फिर से उसी थकान से भर जाते हैं
किसी को जानो तो बस इतना ही जानना कि कोई और भी दिखे तो उसके होने का भ्रम होता रहे उस गांव में दूर तक खेत फैले थे. उनके बीच कुछ रास्ते थे. कुछ सड़कें थीं. कुछ ऊंची इमारतें थीं. मौसम बिछड़ जाने क... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 57
यूसुफ साहब बताते हैं कि उन्होंने बचपन में अपने बुजुर्गों से रामगढ़, नथुवाखान, बागेश्वर इत्यादि नाम सुने थे. इन जगहों में वह जाया करते थे. वह फख्र से कहते हैं कि बंजारा बिरादरी पर पहाड़ को पूरा... Read more