लड़के फल नहीं खाएंगे, तो कौन खाएगा
[पूर्वकथन: ललित मोहन रयाल की यह सीरीज खासी लोकप्रिय रही है और इसे हमारे पाठकों ने न केवल पसंद किया है इसे खूब सारे फेसबुक शेयर्स भी मिले हैं. इस सीरीज का यह अंतिम हिस्स्सा है. अपने पैतृक गाँ... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 63
साठ के दशक से पूर्व नगर में एक फकीर घूमा करता था, नाम था उसका किशना पागल. वह अपनी मर्जी से जहां चाहे चला जाता था और जब चाहे किसी के दरवाजे पर बैठ जाता उसके बारे में यह मशहूर था कि प्रातः काल... Read more
हवा में गूंजे गीत
कहो देबी, कथा कहो – 22 (पिछली कड़ी: कहो देबी, कथा कहो – 21 वे दिन, वे लोग और उन दिनों का वह पंतनगर!) वहां सब कुछ ठीक था लेकिन इतने लोगों के होने के बावज़ूद हवा में कभी गीतों के बोल नहीं गूंजते... Read more
कुमाऊँ में साइमन कमीशन का बहिष्कार
भारत के भावी संवैधानिक स्वरूप पर रिपोर्ट हेतु 1927 में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की नियुक्ति की थी. इस आयोग में भारतीयों को न लिये जाने का कड़ा विरोध किया गया. 1921 में असहयोग आन्दोलन के स... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 61
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
मुनस्यारी का बुरांश
चल रूपा बुरांसा क फूल बणी जौंला छमछम हिट छींछांड़ियूं को पाणी पेई औंला गढ़वाली कवि-गीतकार महेशानंद गौड़ ‘चंदा’ का यह लोकप्रिय गीत बतलाता है कि जनमानस में रचा-बसा बुरांश का फूल उत्तर... Read more
इस समय जरूरी है बांधों को लेकर उत्तराखंड के जनमानस के द्वंद्वों को सामने लाना. जो इतने भीषण और बहुआयामी और टेढ़े-मेढ़े हो गए हैं कि किसी एक सिद्धांत या कसौटी पर उन्हें कसना-परखना मुमकिन नहीं... Read more
एस्केप टू विक्ट्री
1981 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘एस्केप टू विक्ट्री’ को अमेरिका में ‘विक्ट्री’ के नाम से जाना गया. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन शिविर में रह रहे मित्र देशों के कुछ युद्धबंदियों की इस कथा को ख़ा... Read more
भैया जी का हाथी पारक
भैया जी एक स्कूलसखा के सखा थे और जीवन में पहली बार पहाड़ घूमने के उद्देश्य से लखनऊ से नैनीताल आए थे. भैयाजी को नैनीताल भ्रमण कराने का ज़िम्मा मुझे सौंपते हुए स्कूलसखा ने कुछ दिन पहले चिठ्ठी भे... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 62
लोहवन के ही रहने वाले दाऊदयाल गुप्ता उनके बेटे विष्णु और सतीश चाट का ठेला लगाते थे. दाऊदयाल पेठा बेचते थे. बाद में उन्होंने पान की दुकान खोल ली. एक बार उनके लड़कों ने मोटर साइकिल खरीद ली. दाऊ... Read more