एस्केप टू विक्ट्री
1981 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘एस्केप टू विक्ट्री’ को अमेरिका में ‘विक्ट्री’ के नाम से जाना गया. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन शिविर में रह रहे मित्र देशों के कुछ युद्धबंदियों की इस कथा को ख़ा... Read more
भैया जी का हाथी पारक
भैया जी एक स्कूलसखा के सखा थे और जीवन में पहली बार पहाड़ घूमने के उद्देश्य से लखनऊ से नैनीताल आए थे. भैयाजी को नैनीताल भ्रमण कराने का ज़िम्मा मुझे सौंपते हुए स्कूलसखा ने कुछ दिन पहले चिठ्ठी भे... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 62
लोहवन के ही रहने वाले दाऊदयाल गुप्ता उनके बेटे विष्णु और सतीश चाट का ठेला लगाते थे. दाऊदयाल पेठा बेचते थे. बाद में उन्होंने पान की दुकान खोल ली. एक बार उनके लड़कों ने मोटर साइकिल खरीद ली. दाऊ... Read more
डरने वाले भाई साहब
भाई साहब डरने वाले व्यक्ति हैं. उनके डर कई प्रकार के हैं. वे सुबह उठते समय आने वाले दिन की चुनौतियों के बारे में सोचकर डरते हैं. घर से काम को निकलते हुए सफर को लेकर डरते हैं. काम खराब न हो ज... Read more
सफ़रनामा: अतीत के रास्ते
उस साल फ़रवरी के महीने में चकराता से लोखण्डी तक गाड़ी में, और वहाँ से गाँव तक पैदल सफ़र काफ़ी रोमाँचकारी रहा. एक पिक-अप गाड़ी वाला, जो चकराता से लोखण्डी जा रहा था, बड़ी मान-मनौव्वल के बाद पीछे ख़ुल... Read more
दिनेश लाल – उत्तराखण्ड के लोकजीवन को तराशता कलाकार
शौक के लिए आपका जूनून आपकी कई तरह की समस्याओं का समाधान ला सकता है, कुछ ऐसी ही कहानी है दिनेश लाल की. 1980 में ग्राम सभा जेलम, पोस्ट खंडोगी, टिहरी गढ़वाल के मूर्ति मिस्त्री के घर में पैदा हुए... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 60
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
दारमा घाटी की कुछ तस्वीरें
उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले की सीमान्त तहसील धारचूला में धौलीगंगा नदी के किनारे अवस्थित दारमा घाटी अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए विख्यात है. रं सभ्यता की एक महत्वपूर्ण बसासत यह घाटी बड़ी संख... Read more
क्यों नहीं किसी के साथ भाग जाती वो
मुझे सचमुच इस चीज़ से फ़र्क नहीं पड़ता कि उसे कैसा लगता है मेरे बिना … खा़स तौर पर मैं उन दिनों से सीधे-सीधे आंख बचाकर निकल जाता हूं जिन पर हमने अपने नाम लिखकर उड़ा दिए थे. मैं वाकई नह... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 61
1860 के करीब पटवा बिरादी ने रामपुर से आकर हल्द्वानी में कारोबार शुरू किया था. तब पैंठ पड़ाव में सड़के किनारे बैठकर चूड़ी-चरेऊ, धमेली-फूना इत्यादि सामान ये लोग बेचा करते थे. मूल रूप से बेलियों क... Read more