नंदा देवी राज जात के अनूठे फोटो
उत्तराखंड में प्रत्येक बारह वर्ष में होने वाली ऐतिहासिक नंदा देवी राज जात भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी यानी नन्दाष्टमी को की जाने वाली एक देवयात्रा है जिसे कुमाऊँ में अल्मोड़ा और गढ़व... Read more
जीवनानन्द दास की बनलता सेन
अनेक आलोचकों का ठोस यकीन है कि जीवनानन्द दास (Jibanananda Das) बांग्ला कविता के शीर्षस्थ कवि हैं – किसी भी कालखण्ड के. ठाकुर रवीन्द्र से भी बड़े और सुकान्त भट्टाचार्य से भी. उन्हें उनकी... Read more
कुमाऊँ के मध्यकालीन शासकों द्वारा एक विशेष नगाड़े का निर्माण करवाया जाता था. इस नगाड़े का इस्तेमाल ख़ास मौकों पर घोषणा करने के लिए किया जाता था. इसे धतिया नगाड़ा कहा जाता था. कुमाऊनी में धात या... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 116
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
सुमित्रानंदन पन्त की भारत माता
20 मई 1900 को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक स्थान में जन्मे सुमित्रानंदन पन्त (Sumitra Nandan Pant) हिन्दी कविता में छायावाद के मजबूत स्तम्भ माने जाते हैं. उनकी प्रमुख कृतियों मे... Read more
ज्यादा फर्क नहीं है वरिष्ठ और गरिष्ठ अधिकारी मे
वरिष्ठ अधिकारी अंतर देस इ (… शेष कुशल है!) वरिष्ठ और गरिष्ठ मे ज्यादा फर्क नहीं है… खासकर जब वो अधिकारी के संदर्भ मे प्रयोग किया जाए. गरिष्ठ भोजन हाज़मा खराब करता है. कच्ची डकारें... Read more
आख़िर किस मिट्टी के बने होते हैं कमान्डो
2008 के मुम्बई हमले के बाद हमारे साथी और वरिष्ठ पत्रकार-सम्पादक सुंदर चंद ठाकुर ने अपने एक कमांडो मित्र पर यह लेख लिखा था. यह बताना अप्रांसगिक नहीं होगा कि सुंदर चंद ठाकुर स्वयं एक फौजी रह च... Read more
आख़िरी साँसें गिन रहा है पहाड़ का काष्ठशिल्प
बढ़ती आधुनिकता के साथ लकड़ी से बने परम्परागत उत्पाद हमारे जीवन से दूर होते-होते अब लगभग लगभग समाप्त हो चुके हैं और उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में काष्ठशिल्प (Woodart) पूरी तरह बरबाद हो चुका है य... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 115
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
अंग्रेजों के ज़माने का पटवारी हुआ गुमानसिंह
जीवन भर हल्द्वानी (Haldwani) में रहे स्व. आनन्द बल्लभ उप्रेती (Anand Ballabh Upreti) राज्य के वरिष्ठतम पत्रकार-लेखकों में थे. हल्द्वानी से निकलने वाले साप्ताहिक ‘पिघलता हिमालय’ अ... Read more