उत्तराखण्ड में धर्मशालाओं के निर्माण की शुरुआत करने वाले काली कमली वाले बाबा
काली कमली वाले बाबा को उत्तराखण्ड के तीर्थयात्रा के रास्तों पर धर्मशालाओं के निर्माण के लिए विशेष तौर पर याद किया जाता है. Baba Kali Kamli Wale इनके बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म 1831 मे... Read more
कुछ दिनों पहले अचानक हमें अपनी बुद्धि पर फिर से तरस आने लगा. यह कोई नई बात नहीं थी. किसी मनोचिकित्सक की शरण में जाना हमने जरूरी नहीं समझा. असल में साल छह महीने में एक बार ऐसा हो ही जाता है.... Read more
बाजूबन्द : हिमालय की घसियारियों के गीत
पहाड़ की महिला का जीवन यदि किसी से नजरभर भी देखा होगा तो इस बात ने जरुर इत्तेफाक रखेगा कि पहाड़ में महिलाओं का जीवन अत्यंत कठिन है. आज से कुछ दशक पहले तक पहाड़ के गांव आत्मनिर्भर थे. ग्रामीण पर... Read more
बसपा प्रमुख मायावती के प्रधानमंत्री बनने की संभावना से राजनीतिक दलों को जो भी दिक्कत या प्रतिस्पर्धा हो, लेकिन महसूस ये होता है कि परेशानी मीडिया को कुछ ज्यादा है. सपा-बसपा गठबंधन के समय से... Read more
अकल्पनीय अंत हुआ था परवीन बाबी के जीवन का
परवीन बाबी भारत की पहली फ़िल्मी अभिनेत्री थी जिनकी तस्वीर मशहूर पत्रिका ‘टाइम’ ने अपने कवर पर छापी थी. उन्हें सत्तर के दशक की फिल्मों की महारानी कहा जाय तो अतिशयोक्ति न होगी. उन्होंने फिल्मों... Read more
गुलदाढू से सावधान भोंकता कम काटता ज्यादा है
गैरीगुरु की पालिटिकल इकानोमी : अथ चुनाव प्रसंग- 2 पिछली क़िस्त यहां पढ़े-गैरीगुरु की पालिटिकल इकानोमी : अथ चुनाव प्रसंग गैरीगुरु की अंतरात्मा सांझ ढलते ही फड़फड़ेट करने लगी थी. गर्म हवा के थपेड... Read more
घर पर ऐसे बनता था उत्तराखंड में पिठ्या
उत्तराखंड में सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत पिठ्या लगाकर ही होती है. पिठ्या को यहां अत्यंत शुभ माना जाता है. वर्तमान में पिठ्या जिसे रोली भी कहा जाता है, बाजार में आसानी से मिल जाता है लेकिन... Read more
उत्तराखंडी चेतना की नई शुरुआत या पटाक्षेप
फरवरी 2014 में, जब उस वक़्त के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के त्यागपत्र के बाद हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी, खतरनाक सियासती उठापटक का सिलसिला तभी से शुरू हुआ था. जैसा कि होना ही... Read more
छूट प्रथा : उत्तराखंड के जौनपुर की प्रथा
उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल में एक खुबसूरत पहाड़ी क्षेत्र है जौनपुर. यमुना के बांयी तरफ स्थित जौनपुर का यह क्षेत्र अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक परम्पराओं, रीति-रिवाज, खान-पान के लिये जाना जाता है. ज... Read more
मेरी माँ अब नहीं हैं लेकिन वह नदी अब भी है
आज से नब्बे साल पहले यानी 3 अप्रैल 1929 को शिमला (हिमाचल प्रदेश) में जन्मे निर्मल वर्मा अपने विशिष्ट गद्य के लिए जाने जाते रहे हैं. आज उनके जन्मदिवस पर पढ़िए उनका एक विचारोत्तेजक लेख: मेरे लि... Read more