व्यंग्य का जन्म किस प्रकार होता है?
कल एक मित्र का फोन आया. मित्र मुम्बई में हैं, और अभिनय के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहे हैं. वैसे तो मित्रों के फोन आते रहते हैं, परन्तु ये फ़ोनकॉल विशेष थी. ये फोनकॉल, मुझ लेखक के लेखन की प्र... Read more
पाताल भुवनेश्वर : रहस्यों से भरी एक पवित्र गुफा
पिथौरागढ़ जिले में स्थित गंगोलीहाट तहसील के मुख्यालय से 16 किमी की दूरी पर स्थित है पाताल भुवनेश्वर. गंगोलीहाट तहसील के भुवनेश्वर गांव में समुद्र तल से 1350 मी. की ऊंचाई पर स्थित पाताल भुवनेश... Read more
हेमवती नंदन बहुगुणा : इंदिरा युग में इंदिरा गांधी को चुनौती देने वाला राजनेता
अगर इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति की खोज की जाय जो उत्तराखंड का हो और पहला ऐसा व्यक्ति हो जिसने आजाद भारत की राजनीति में अपना अलग नाम किया हो तो एक महत्वपूर्ण नाम आता है हेमवती नंदन बहुगुणा का.... Read more
ताजमहल को शायरों ने भी बनाया उनवान
सभी जानते हैं कि बादशाह शाहजहां अपनी बेगम मुमताज़ से बहुत प्यार करते थे. अपनी बेगम की याद में संगमरमर की इमारत तामीर कराई थी, जिसको हम ताजमहल के नाम से जानते हैं. यह दुनिया के सात अजूबों में... Read more
ऋग्वेद के शम्बर प्रसंग के अनुसार बाणासुर हिमालय में रहने वाले एक असुर थे. वायुपुराण में शतश्रृंग पर्व पर असुरों के 100 पुरों (किलों) का उल्लेख मिलता है. रामायण, महाभारत और अन्य पुराणों के कई... Read more
भगवान तुलसीदास गलत नहीं लिख सकते
बुआजी के एक विधुर जेठ थे, जिन्हें घर के सब लोग ‘बड़े बाबजी’ पुकारते थे. मझोले कद के बड़े बाबजी एक गुस्सैल अधेड़ थे, जिनकी भौंहें हमेशा तनी रहती और बिना बात गुस्सा करना उनका शगल था. कभी असावधानी... Read more
पार्श्वगायक मुकेश ने हिंदी सिनेमा को एक-से-एक नायाब नगमे दिए. उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड तो कई मिले (चार बार), लेकिन राष्ट्रीय अवार्ड हासिल नहीं हुआ. एकमात्र राष्ट्रीय अवार्ड जो उनके हिस्से आया... Read more
उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने में रहने वाली महिलाओं का जीवन हमेशा संघर्षों से भरा हुआ रहा है. उनके जीवन का संघर्ष और उनके व्यक्तित्व की सरलता उनके खान-पान तक में देखी जा सकती है. पहाड़ियों के... Read more
बाजार ने हम सबको बिगड़ैल बच्चा बना दिया है
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – चौथी क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: पिता द्वारा टट्टी में सनी नेपियां साफ करने से मेरी ममता में कमी तो नहीं आ जाएगी! ये सवाल तुम पहले भी कई बार पूछ चुकी हो मुझसे,... Read more
और भी थे इम्तिहां
कहो देबी, कथा कहो – 42 पिछली कड़ी- समय के थपेड़े ज़िंदगी जम कर इम्तिहां ले रही थी और हम थे कि दमखम से इम्तिहां देते चले जा रहे थे. शायद सरदार अंजुम के शब्दों में भीतर कहीं मन में हम भी सोचते थे... Read more