गाँव की बर्फबारी में नंदादेवी बनाना
बर्फीली याद, गाँव की बड़े दिनों बाद, गाँव गया था. देखना था कि गाँव की मिट्टी की तासीर कुछ बदली है या वैसी ही है, जैसी छोड़ आया था, वर्षों पहले. आसमान की तो आँखें भीग आयीं, मुझे देखकर. और धरत... Read more
सपने जैसा बिनसर सपने जैसी बर्फ
स्वप्न सा बिनसर! बिनसर हर मौसम में अपने अलग ही रूप और मिजाज में नज़र आता है, बर्फबारी के बाद इसे देखना और जीना एक सपने जैसा होता है जो हम जीते जागते देखते हैं. First Snowfall of the Season B... Read more
झलतोला एक एकांत जगह है. तहसील गंगलीहाट का यह गाँव, किसी ज़माने में अपने पडोसी चौकोडी की तरह एक चाय बागान था. कालान्तर में इसके कुछ हिस्सों में गाँव बस गए और कुछ देख रेख के अभाव में अव्यवस्... Read more
रानीखेत का स्नोफॉल
कल पूरे कुमाऊँ-गढ़वाल में हुई शानदार बर्फबारी की फोटो लगातार हम तक पहुँच रही हैं. अभी देखिये कृष्ण चन्द्र पलड़िया की कल रानीखेत में खींची गयी कुछ तस्वीरें. उत्तराखंड सरकार में सेवारत कृष्ण चन्... Read more
उत्तराखण्ड के सीमांत जिले चम्पावत से 28 किमी दूर और नेपाल की सीमा से लगे हुए गुमदेश क्षेत्र में एक खूबसूरत कस्बा है पुलहिंडोला संक्षेप में इसे पुल्ला नाम से जाना जाता है. पुलहिंडोला की आबादी... Read more
उत्तराखण्ड की पहाड़ियों में कल सुबह से मौसम ने करवट ली और जोरदार बर्फबारी से पहाड़ों ने सफेद बाना ओढ़ लिया. पर्यटक और मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग बर्फबारी वाले इलाकों में जुटने लगे. मजखाली,... Read more
ब्रितानी राज में कुमाऊं के हिम्मती कारोबारी ठाकुर गोपाल सिंह के साहस की दास्तान
ये दास्तां है 1931 की जब हल्द्वानी के ट्रांसपोर्टर ठाकुर गोपाल सिंह की हल्द्वानी से रानीखेत तक मोटर बस लॉरी चला करती थी. उस ज़माने में मोटर गाड़ी खरीदने के लिए कई तरह की शर्ते थीं, इसलिए उन... Read more
विगत 9 दिसम्बर को गरुड़ वाले चाचा आ गए ,चाची को साथ लेकर. हम उन्हें गरुड़ वाले चाचा कहते हैं. दरअस्ल वह गरुड़ और डंगोली के बीच कोटफुलवारी गांव में रहते हैं जहां प्रसिद्ध कोटभ्रामरी देव... Read more
कल मेरा एनिमल डे है और बेटे का एनुअल डे
जन्मदिन से पहले दिन का वाकया कल (चौदह दिसंबर) नचिकेता (मेरे छोटे बेटे) का ऐनुअल डे है और मेरा जन्मदिन. कई दिनों से उत्साहित है. स्कूल जाते हुए उसे अभी छह महीने हुए हैं. इसलिए शायद ओवरएक्साइट... Read more
गांव सिरसोली की पार्वती देवी से लेकर शिकागो यूनिवर्सिटी तक एकमत हैं मेहमाननवाजी को लेकर
वह भी क्या दौर था, जब मेहमानों के आते ही खुशी छा जाती थी. अतिथि देवो भव की सनातन परंपरा का बखूबी निर्वहन हुआ करता था. परिवार का हर सदस्य अतिथि के स्वागत-सत्कार के लिए आतुर हो उठता था. मेहमान... Read more