जौनसार-बावरः अतीत से भविष्य तक –सुभाष तराण सुदूर उत्तर भारत के पहाडी प्रदेश उत्तराखंड में यमुना अपने उद्गम से लगभग सौ मील चल कर जब देहरादून जिले के पुरातन स्थल कालसी पहुँचती है तो वहाँ उसका... Read more
उत्तराखण्ड में शीतला देवी के विशिष्ट रूप
शीतलादेवी के मंदिर उत्तराखण्ड के अनेक स्थानों में हैं. कुमाऊं में यह बरौरी, द्वाराहाट, शीतलाखेत, अल्मोड़ा तथा काठगोदाम में हैं. काठगोदाम स्थित शीतलादेवी के विषय में मान्यता है कि इसे बदायूं क... Read more
बमराड़ी ढाबे में झोली डुबके के मज़े
कुमाऊँ के बागेश्वर और गरुड़ के ठीक बीच में एक छोटी सी बसासत पड़ती है – बमराड़ी. यहाँ से दोनों जगहें बारह-बारह किलोमीटर की दूरी पर हैं. इस जगह को पिछले कुछ समय से एक बेहतरीन ढाबे के कारण ख... Read more
जौलजीबी मेला 2018 – फोटो निबन्ध
जौलजीबी का मेला एक ऐतिहासिक ही नहीं सांस्कृतिक मेला भी है. नेपाल और पिथौरागढ़ सीमांत के इस क्षेत्र के लोगों के बीच एक लम्बे समय से रोटी बेटी का रिश्ता रहा है. जौलजीबी के मेले में व्यापार के स... Read more
तिब्बत का पहला भौगोलिक अन्वेषण करने वाले उन्नीसवीं शताब्दी के महानतम अन्वेषकों में से एक माने जाने वाले मुनस्यारी की जोहार घाटी के मिलम गाँव के निवासी पंडित नैनसिंह रावत के बारे में एक लंबा... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 33
कुमाऊं अंचल में कई प्रख्यात कलाकारों, रंगकर्मियों, साहित्यकारों ने जन्म लिया. उनमें से कुछ को जाना गया, कुछ उपेक्षित रहे और कुछ गुमनामी का जीएवन जीकर चले गए. प्रख्यात नृतक हरीश चन्द्र भगत भी... Read more
भारत और नेपाल की सीमा पर पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से तकरीबन 68 किमी. पर जौलजीबी कस्बा बसा है. सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण एक जमाने में यहीं से नोटिफाइड एरिया शुरू होता था. गोरी नदी पर बने प... Read more
बैजनाथ के शिव मंदिर की तस्वीरें
बैजनाथ का मन्दिर समूह उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील में गरुड़ से कुल 2 किलोमीटर की दूरी पर है. गोमती नदी के किनारे पर स्थित यह बैजनाथ मन्दिर (Baijnath Temple ) लगभग एक हज़ार वर्ष पह... Read more
अथ आपदा राहत कथा
सौदा–सुभाष तराण वैसे तो उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदाएं अपना कहर अमूमन साल दर साल बरपाते रहती हैं लेकिन जब से भारतीय राजनीति की कोख ने विकास को जन्मा है तब से इनकी मार... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 32
कुमाऊँ का प्रवेश द्वार हल्द्वानी व्यावसायिक नगर के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अग्रणी रहा है. शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में विद्वानों की महफिलें आज भी यहाँ जुटती हैं. यद्यपि व्यावस... Read more