हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 46
1982 में जब एनडी तिवारी हेमवती नन्दन बहुगुणा के बाद मुख्यमंत्री बने, उस समय यहां के जंगलों में भीषण आग लगी हुई थी.आग में कई लोग झुलस गये थे और दुर्घटना हुई. उ.प्र. विधानसभा में वनों की आग के... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 45
वर्तमान में हल्द्वानी नगर में बड़े अस्पतालों की संख्या गिनती से बाहर हो गई है. एक से एक काबिल डॉक्टर यहां अपने विशाल हाईटेक क्लीनिक खोल कर बैठ गए हैं. लोग कहते हैं कि जिन बीमारियों के इलाज के... Read more
कुली बेगार आन्दोलन से पहले कुमाऊं परिषद
अमृतसर कांग्रेस के बाद के महीने अत्यन्त सक्रियता भरे थे. एक प्रकार से कुमाऊं परिषद के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस बीच ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन का असाधारण कार्य किया. जगह जगह परिषद् की शा... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 44
सन् 1970 तक शादी-ब्याह की रस्में भी यहां ठेठ ग्रामीण परिवेश में ही हुआ करती थीं. न्योतिये प्रातः पहुँच जाते और साग सब्जी काटना, हल्दी-मसाले घोटना, टेंट कनात लगाने में सहयोग करना, आदि में जुट... Read more
पीलीभीत की बांसुरी – रोहित उमराव के फोटो
पीलीभीत की बांसुरी – रोहित उमराव बांस की बनी बांसुरी और उसकी मधुर-सुरीली तान आखिर किसे नहीं रिझाती? बांसुरी भारत वर्ष का ऐतिहासिक वाद्य यंत्र है. महाभारत काल में श्रीकृष्ण-बांसुरी-गोपि... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 43
तराई भाबर में भूमि व्यवस्था भी एक विवादास्पद विषय बनी रही है. यहाँ की जमीनों की लूट का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है. यहाँ के बीहड़ इलाके को बसाने के लिए ब्रिटिश शासन काल में यहाँ एक खाम अधिका... Read more
नैनीताल की नंदा देवी
उत्तराखण्ड में इष्ट देवी पार्वती के कई रूपों की पूजा की जाती है. पूरे राज्य में पार्वती के माँ नंदा स्वरूप में ढेरों मंदिर भी हैं. इन्हीं में से एक है नैनीताल का नैना देवी मंदिर. नैनीताल उत्... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 42
हल्द्वानी में जिस तेजी से हर समाज ने पनाह ली है उसी तेजी से उनके आहार व्यवहार रीति-रिवाज का प्रभाव भी यहां फैलता गया. बात करें सिंधी समाज की तो पता चलता है की खानपान की नई परंपरा से इस समाज... Read more
मेरे सपनों का उत्तराखण्ड
गाँव से लौटे महीना नहीं होता कि मैं फ़िर से गाँव की ओर हो लेता हूँ. पहाड़ पर ख़राब मौसम को लेकर मौसम विभाग की तमाम चेतावनियों के बावजूद भी मेरी हर महीने कम से कम एक या दो बार गाँव जाने की काम... Read more
कुमाऊँ परिषद के शुरुआती वर्ष
1916 से 1926 तक कुमाऊँ परिषद का इतिहास ही बड़ी सीमा तक उत्तराखण्ड में स्थानीय आन्दोलनों तथा राष्ट्रीय संग्राम का इतिहास भी है. कुमाऊँ परिषद सामान्य समाज सुधार के उद्देश्यों वाला संगठन न होकर... Read more