कुछ दस बजे का समय रहा होगा, कुछ चल्लों की फोटो खींचते-खींचते मै एक प्राथमिक स्कूल के पास से गुजर रहा था. अध्यापिका और बच्चे नवम्बर की धूप सेकते हुए उस दिन की पढाई कर रहे थे. कुछ बच्चे आपस क... Read more
उत्तराखण्ड में चाय की खेती का इतिहास 150 वर्ष पुराना है. उत्तराखण्ड में भी चाय की खेती यूरोपियनों के आने के बाद ही शुरू हुई. सन् 1824 में ब्रिटिश लेखक बिशप हेबर ने कुमाऊं क्षेत्र में चाय की... Read more
नॅशनल ज्योग्राफिक द्वारा अपनी बहादुरी के लिए सम्मानित भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने साल 2018 में एक ऐसा कारनामा अंजाम दिया था जिसने देश भर में उनका बड़ा नाम किया. नाव से... Read more
अंग्रेजों के जमाने में उत्तराखंड के पुल
उत्तराखंड में अनेक नदियां बहती हैं और इन नदियों को पार करने के लिये यहां अनेक पुल हैं. पहाड़ी इलाकों में आज भी रस्सी के पुराने झूला पुल देखने को मिल जाते हैं. उत्तराखंड में पुल ग्रामीण जीवन... Read more
100 साल पुराना है धनाई मिष्ठान भण्डार का इतिहास
अल्मोड़ा में खीम सिंह-मोहन सिंह की बालमिठाई, तो श्रीनगर में धनाईजी के पेड़ों का जबा़ब नहीं है. दशकों पहले हनुमान मंदिर में बूंदी का प्रसाद चढ़ाने वाले भक्तों की भीड़ यहां हर शाम दिखती थी. एक... Read more
जमरानी बाँध का अजब किस्सा
[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी में नहरों का जाल बिछाया था हैनरी रामजे ने] कहा गया था कि जमरानी बाँध बनाने से तराई-भाबर ही नहीं पीलीभीत, रामपुर और बरेली तक के खेतों में हरियाली आएगी. वर्षा के अनिय... Read more
ग्रेजुएट ब्वारियों की चाहत बनाम पहाड़ से पलायन : उत्तराखण्ड स्थापना सप्ताह पर विशेष
उन्नीस साल के युवा उत्तराखण्ड को एक लाइलाज रोग लग गया है – पलायन का. इस रोग की गम्भीरता ऐसी है कि इसने यहाँ की अन्य बीमारियों (समस्याओं) को नजरअन्दाज कर दिया है. होता भी यही है. जब छोट... Read more
जॉन हेरॉल्ड एबट का बनवाया हुआ चर्च – डाक्टर डेथ यानि डाक्टर मॉरिस के खतरनाक प्रयोगों की दास्तान (Abbot Mount Haunted Remains of Raj) हिमालय की तराई से चलकर जब आप टनकपुर से शिवालिक पहाड... Read more
कुमाऊं में चन्द शासन काल के कुछ महत्वपूर्ण विवरण
एटकिंसन के अनुसार डोटी कल्याण चन्द्र का शासनकाल सन् 1730-47 ई.तक माना जाता है. डोटी कल्याण चन्द्र का राज्याभिषेक 1730 में किया गया. 1747 ई. को अपने मृत्यु समय के अन्तिम मास में उसनें अपने अब... Read more
पिछली क़िस्त : जब हल्द्वानी के जंगलों में कत्था बनाने की भट्टियां लगती थी उस जमाने में भाबर का यह इलाका घने जंगलों से भरपूर था. साल, शेषं, खैर, हल्दू आदि मूल्यवान प्रजाति के वृक्षों से हराभरा... Read more