राम दत्त जोशी का जन्म नैनीताल जिले के भीमताल इलाके के शिलौटी गांव में कुमाऊं के राजा के ज्योतिर्विद पं० हरिदत्त जोशी के घर में 1884 में हुआ था. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई. कुछ समय ह... Read more
साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज फूट डालो राज करो कि अपनी नीति के अनुसार ब्रिटिश सरकार सांप्रदायिक विचारों को पालने-पोसने का काम करती रही. फलस्वरूप हिंदू- मुस्लिम दंगे भी हुए. इस समस्या के हल... Read more
1962 में 10 अगस्त के दिन अल्मोड़ा जिले के पास द्वाराहाट कस्बे में पड़ने वाले गांव पान बड़ैती में एक बच्चे का जन्म होता है. कौन जानता था कि हरीश पांडे और रेवा पांडे के घर में जन्म लेने वाले इस... Read more
‘गढ़केसरी’ अनुसूया प्रसाद बहुगुणा का जन्मदिन है आज
रूद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से करीब 32 किमी की दूरी पर एक गांव है ककड़ाखाल. साल 1921 में जब कुमाऊं के बागेश्वर जिले में कुली बेगार को खत्म करने के लिए आन्दोलन जारी था तब इसी गांव से उस समय के ब... Read more
‘कुमाऊं केसरी’ बद्रीदत्त पाण्डे का जन्मदिन है आज
लगभग चालीस सालों से चले आ रहे अल्मोड़ा अखबार ने 1913 के बाद ही धार पकड़ी. अल्मोड़ा अख़बार ने जब तक स्थानीय मुद्दों पर अपनी यह धार दिखाई तब तक प्रशासन चुप रहा. लेकिन बद्रीदत्त पाण्डे के सम्पा... Read more
नत्थू सिंह खरोला उर्फ़ नत्थू कमाण्डिंग के मायने
हमारे गांव में मन्नाण – गांव में सार्वजनिक स्थल अर्थात पंचायती चौक के उत्तर, दक्षिण व पूरब दिशा में आबादी है तथा पश्चिम में सीमेण्ट गारे से बनी हुयी ढालदार छत वाली पानी की टंकी है. यह... Read more
युवा मन का शेर ‘शमशेर’ : जन्मदिन विशेष
‘आज शाम ठीक 4 बजे चौघानपाटा में… के खिलाफ आम जन की आवाज बुलंद करने के लिए शमशेर बिष्ट एवं उनके साथी एक सभा को संबोधित करेगें.’ रैमजे इंटर कालेज, अल्मोडा के मेन फाटक पर हाथ में छोटा चैलेंजर (... Read more
समाजसेवा और सिक्ख एक दूसरे के पर्याय हैं. पूरे विश्वभर में आपातकालीन स्थितियों में सेवा देने के लिए सिक्ख समाज सबसे पहले नजर आता है. गुरुद्वारों में चलने वाले लंगर से करोड़ों लोग अपनी भूख प्... Read more
स्वतंत्रता सेनानी दादा के बारे में जानने को फ्रांस से अल्मोड़ा पहुंची पोतियां
आजादी के दौरान महात्मा गांधी के सहयोगी के तौर पर काम करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दादा के बारे में जब फ्रांस में रहने वाली उनकी दो पोतियों पता चला तो उनके बारे में और ज्यादा जानने की... Read more
जरा ठन्डू चलदी, जरा मठ्ठु चलदी, मेरी चदरी छुट्टी ग्ये पिछनै उत्तराखण्ड के लोगों के लिए चन्द्र सिंह राही का अर्थ है एक ऐसी आवाज जिसमें पहाड़ तैरते थे. उनके गले से लहरें उठती थी और उत्तराखण्ड... Read more