लाखामंडल उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के देहरादून जिले की ग्राम सभा है. यह क्षेत्र जौनसार बावर के रूप में भी अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान रखता है. लगभग 1000 की आबादी वाले इस गाँव में उत्तराखण्ड के... Read more
रोपणी के खेत से जीतू को हर ले गयी आंछरियां
इन दिनों पहाड़ के गांवों के खेतों में रोपाई अर्थात रोपणी की जा रही है. अषाढ़ के महीने की छः गते की रोपणी को लेकर आज भी पहाड़ के लोक में माना जाता है कि इस दिन रोपणी के सेरे (रोपाई के खेत) मे... Read more
शायद ही किसी पर्वत से देशवासियों का इतना जीवन्त रिश्ता हो जितना नंदादेवी से उत्तराखंड क्षेत्र के लोगों का है. उत्तराखंड की आराध्य देवी हैं मां नंदा-सुनंदा. समूचे उत्तराखंड में हिमालय पुत्री... Read more
हम सब अपने आमा-बुबुओं के अपराधी हैं
ज्यादातर भारतीय घरों में बूढ़े-बुजुर्गों का सम्मान नहीं किया जाता. सम्मान तो छोड़ो उन्हें 2 वक़्त का भोजन तक इंसानी गरिमा के साथ नसीब नहीं होता. बूढों के नाम संपत्ति होने पर उनसे छल-छद्म कर... Read more
बेदिनी बुग्याल में ही मौजूद है हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक स्थल बेदिनी कुंड, इसे वैतरणी भी कहा जाता है. इस कुंड का विशेष धार्मिक महत्त्व है. 11,004 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेदिनी कुंड के पास ही... Read more
उत्तराखंड की सोर घाटी और कत्यूर घाटी में छुरमल बहुत से गांवों के इष्टदेव हैं. छुरमल के पिता का नाम कालसिण है. कालसिण को ही कालचिन या कालछिन भी कहा जाता है. कालसिण को मां कालिका का पुत्र माना... Read more
उत्तराखड में स्थापत्य एवं मूर्तिशिल्प का बेजोड़ नमूना : कटारमल का सूर्य मंदिर
संसारभर में समुद्र की सतह से सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित एकमात्र सूर्य मंदिर तथा कोणार्क (ओडिशा) के सूर्य मंदिर के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर उत्तराखड में कटारमल (अल्मोड़ा) स्थित सूर... Read more
गंगा मंदिर मुखीमठ: गंगा मैया का शीतकालीन प्रवास
उत्तरकाशी गंगोत्री रोड पर 73 किमी की दूरी पर बसे खूबसूरत गाँव हरसिल को भला कौन नहीं जानता. हरसिल से ही भागीरथी नदी को पार कर लगभग 3.50 किमी की दूरी तय करने के बाद आता है मुखबा. हरसिल से 3 कि... Read more
इष्टदेव से न्याय पाने की गुहार है घात डालना
यूँ तो घात लगाने का सामान्य अर्थ होता है, शिकायत, चुगली अथवा किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कही गयी बात को पीछे से उस तक पहुंचाना. किन्तु एक वाक्यांश के रूप में क्रियांश ‘डालना’ से इसका अर्थ बदल... Read more
कल्पकेदार: सत्रहवीं शताब्दी का पौराणिक शिव मंदिर
साल 1945 में धराली के ग्रामीणों को गंगा नदी के किनारे मंदिर का शीर्ष भाग नजर आया. कौतुहल के साथ ग्रामीणों ने खुदाई शुरू की. लगभग 14 फीट की खुदाई के बाद कल्प केदार मंदिर समूह का एक समूचा शिव... Read more