[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी के कुछ पुराने परिवार] नरोत्तम शारदा पहाड़ से आने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियों के कारोबारी हुआ करते थे. शारदा मूलतः अमरोहा के रहने वाले थे. उन्होंने 1934 में अपना कारोबार... Read more
कुमाऊं का बारदोली था सल्ट का खुमाड़
कुलीबेगार से पहले कुमाऊं में सामाजिक हलचल: वर्ष 1942 में खुमाड़ सल्ट तथा सालम में जिस विद्रोह का प्रस्फुटन हुआ, उसकी पृष्ठभूमि को समझने के लिए कुमाऊं में ब्रिटिश राज के इतिहास को समझना भी आवश... Read more
2 सितम्बर का मसूरी गोली काण्ड : राज्य आंदोलनकारियों के खिलाफ़ एक सुनियोजित घटना
खटीमा के बाद बारी थी मसूरी की. 1 सितंबर 1994 की शाम को मसूरी झूलाघर स्थित नगरपालिका के पास के धरनास्थल को पीएसी ने अपने कब्जे में ले लिया था. मसूरी के एसडीएम को दो-एक दिन पहले ही बदला गया था... Read more
सिकुड़ते गॉंव, दरकते घर, ख़बर नहीं, कोई खोज नहीं
यह आलेख हमें हमारे पाठक कमलेश जोशी ने भेजा है. यदि आप के पास भी ऐसा कुछ बताने को हो तो हमें [email protected] पर मेल में भेज सकते हैं. उत्तराखण्ड राज्य की माँग को लेकर खटीमा सड़कों पर... Read more
1994 के बाद उत्तराखंड आन्दोलन में जबरदस्त जनउभार देखने को मिला. 1 सितंबर 1994 को खटीमा में करीब दस हजार से ज्यादा लोगों ने एक जुलूस निकाला. जुलूस में पूर्व सैनिक, छात्र, और महिलाएं बड़ी संख्... Read more
– मनमीत उत्तराखंड के मौजूदा जुझारू युवा पत्रकारों में मनमीत एक हैं. देहरादून में एक दैनिक अख़बार में नौकरी करते हैं. घुमक्कड़ी के जबरदस्त शौकीन हैं और जल्द ही अपनी यात्राओं के क़िस्सो... Read more
साबुन का इतिहास
सत्तर के दशक तक भारत में साबुन नाम की बला सामान्य व्यक्ति के जीवन में लगभग नहीं के बराबर हुआ करती थी. हाँ पानी में गुलाब के पत्तों से लेकर नीम के पत्तों का प्रयोग छुपते-छुपाते यदा-कदा विशेष... Read more
1942 की सालम जन क्रांति की याद
प्रमोद साह हल्द्वानी में रहने वाले प्रमोद साह वर्तमान में उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत हैं. एक सजग और प्रखर वक्ता और लेखक के रूप में उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफलता... Read more
भारत छोड़ो आंदोलन और कुमाऊं के वीर
9 अगस्त 1942 को सूरज की पहली किरण से पहले ही आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत देश भर में कांग्रेस के सभी बड़े नेता गिरफ्तार किये जा चुके थे. अंग्रेजों की अचानक हुई इस कार्रवाई के कारण पू... Read more
भारत सरकार ने 1994 में उनकी फोटू वाला एक डाक टिकट जारी किया और नामकरण किये जाने से छूट गईं एकाध सड़कों के नाम उनके नाम पर रख दिए. उत्तराखंड बनने के बाद जब राज्य सरकार को अपने स्थानीय नायकों... Read more