पिथौरागढ़ की डीडीहाट तहसील में एक गांव है मड़. डीडीहाट से 15 किमी की दूरी पर चौबाटी क़स्बा है यहां मोटर मार्ग से करीब ढाई किमी की दूरी पर सूर्य का मंदिर है. Sun Temple in Pithoragarh यह सूर्य क... Read more
गंगोत्री गर्ब्याल की आत्मकथा ‘यादें’ की भूमिका में-डा. आर.एस.टोलिया के लिखा है – ‘‘प्रसिद्ध इतिहासविद् डा. शिव प्रसाद डबराल ने ‘उत्तराखंड के भोटांतिक’ पुस्तक में लिखा है कि यदि प्रत्ये... Read more
1928 में नैनीताल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जे. एम. क्ले द्वारा एक किताब ‘नैनीताल: अ हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव अकाउंट’ प्रकाशित की गयी थी. इसके पहले अध्याय को नैनीताल के तत्कालीन असिस्टेंट... Read more
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली (25 दिसम्बर, 1891 – 1 अक्टूबर 1979) भारत सरकार ने 1994 में उनकी फोटू वाला एक डाक टिकट जारी किया और नामकरण किये जाने से छूट गईं एकाध सड़कों के नाम उनके नाम पर रख... Read more
आजकल प्रायः कुमाऊँ इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए उल्लेख होने वाले द्वाराहाट नगर के सम्बन्ध में किवदंती रही है कि कुमाऊँ के द्वाराहाट क्षेत्र को देवता, उत्तर की द्वारिका बनाना चाहते थे परन्तु बाधा... Read more
क्रिसमस ट्री : सिर्फ पेड़ नहीं, परम पिता परमेश्वर में हमारी आस्था व विश्वास का प्रतीक
क्रिसमस का त्यौहार आ गया है. आइए, आज ‘क्रिसमस ट्री’ की बात करते हैं. (Christmas tree Deven Mewari) क्रिसमस ट्री यानी वही हरा-भरा, प्यारा-सा पौधा जिसे क्रिसमस यानी बड़े दिन के त्योहार पर घर म... Read more
हल्द्वानी में जिस तेजी से हर समाज ने पनाह ली है उसी तेजी से उनके आहार व्यवहार रीति-रिवाज का प्रभाव भी यहां फैलता गया. बात करें सिंधी समाज की तो पता चलता है की खानपान की नई परंपरा से इस समाज... Read more
पहले हल्द्वानी के खेतों, बगीचों में जंगली जानवर घूमा करते थे, अब अलग-अलग नस्ल के कुत्ते भौंका करते हैं
आज स्थिति बिल्कुल अलग हो गई है पूरा हल्द्वानी और उसके आसपास के मीलों तक फैले गांव फतेहपुर, लामाचौड़, लालकुआं और रामपुर रोड के गांव सब कंक्रीट के जंगल में परिवर्तित हो गए हैं. एक गली, दूसरी,... Read more
बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर में पुराने चर्च में विलियम बटलर का नाम आज भी अंकित है ईसाई नगर हेनरी रैमजे के समय में ब... Read more
पीली कोठी, जज फ़ार्म और हल्द्वानी के बाकी मोहल्लों के नाम रखे जाने की कहानी
हल्द्वानी में पीली कोठी एक बड़ा क्षेत्र है लेकिन इसकी शुरुआत एक कोठी से हुई थी. इलाहाबाद से होम्योपैथिक डॉक्टर जयदत्त गुरु रानी 1928 में हल्द्वानी आकर रहने लगे थे. शुरू में मुखानी चौराहे पर... Read more