साल 1964 का जुलाई का महीना रहा होगा, जब भवाली के गोबिन्द बल्लभ पन्त हायर सेकेन्डरी स्कूल में दर्जा 6 में दाखिला लिया और शुरू हुआ भवाली से नजदीक से रूबरू होने का सिलसिला. यों हमारा मुख्य बाजा... Read more
गढ़वाल की राजधानी देवलगढ़ से श्रीनगर स्थानान्तरित हो चुकी थी. राजा महिपति शाह की मृत्यु के बाद उनके पु़त्र पृथ्वीपति शाह राज गद्दी के उत्तराधिकारी हुये. उस समय पृथ्वीपति शाह की उम्र महज सात... Read more
यह तस्वीर रामगंगा की है. तस्वीर 1892 में अपनी भारत यात्रा के दौरान जर्मन फोटोग्राफर कर्ट बोएक ने ली है. इस तस्वीर को उन्होंने अपनी किताब में शामिल किया जो 1894 में प्रकाशित हुई. जर्मन भाषा म... Read more
ऐतिहासिक संदर्भ कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्र में मुख्य रूप से अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, रानीखेत और नैनीताल में ताज़िया बनाने की बहुत पुरानी परम्परा है. गमी का यह पर्व हिन्दू-मुस्लिम एकता और आपसी सह... Read more
अल्मोड़े के नंदादेवी मेले का इतिहास
प्रतिवर्ष अल्मोड़ा जनपद के मुख्यालय तथा गरूड़ (बैजनाथ) में स्थित कोट नामक स्थान में भाद्र शुक्ल पक्ष अष्टमी को मनाये जाने वाला नन्दाष्टमी का मेला एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक मेला है. इस मेले का... Read more
पहाड़ में अब भी बड़े बुजुर्ग कहते हैं सबका बैर झेला जा सकता है पटवारी का बैर नहीं. अब भले पटवारी की शक्ति उतनी नहीं है फिर भी वह अपनी पट्टी में राजा से कम नहीं है. आज भी कई ऐसे मामले हैं जहां... Read more
देहरादून की पलटन बाज़ार का इतिहास
1803 ईसवी के अक्टूबर महिने में गोरखाओं ने देहरादून को अपने कब्जे में ले लिया था. राजा प्रद्युमन शाह ने मैदानी भाग में जाकर शरण ली. लंडोरा के गुर्जर राजा राम दयाल के साथ प्रद्युमन शाह के अच्छ... Read more
सुल्ताना डाकू का किला और खूनीबड़ गाँव की कहानी
बीसवीं सदी के पूर्वाद्ध में नजीबाबाद-कोटद्वार क्षेत्र में सुल्ताना डाकू का खौफ था. कोटद्वार से लेकर बिजनौर यूपी और कुमाऊं तक उसका राज चलता था. बताया जाता है कि सुल्ताना डाकू लूटने से पहले अप... Read more
यूं तो कुमाऊँ में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रवेश 8 मई 1815 को कुमाऊँ के कमिश्नर आफ रेवन्यू के रूप में ई.गार्डिनर की नियुक्ति के साथ हो गया था लेकिन कंपनी ने कुमाऊँ-गढ़वाल के नियंत्रण का मुख्याल... Read more
बागेश्वर के बागनाथ मंदिर पर एक महत्वपूर्ण लेख
उत्तराखण्ड के प्रयाग तथा काशी के नाम से विख्यात सरयू नदी के संगम पर अवस्थित बाघनाथ मन्दिर पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है. इस स्थल को मार्कण्डेय मुनि की तपस्थली अथवा तपोभूमि माना जा... Read more